देवेंद्र वर्मा/नाहन: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल दो दिवसीय दौरे पर सिरमौर पहुंचे जहां उन्होंने तीर्थ स्थल रेणुका जी पहुंचकर भगवान परशुराम और माता रेणुका के मंदिर में पूजा अर्चना कर पवित्र रेणुका जी झील की परिक्रमा की. राज्यपाल ने करीब 7 हजार करोड़ रुपये की लागत से बन रहे रेणुका जी बांध परियोजना का भी निरीक्षण किया. इस दौरान उनके साथ बांध प्रबंधन व जिला प्रशासन से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रहे. 7 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिलान्यास भी कर चुके हैं.


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अगले पांच साल में पूरा हो जाएगा रेणुका जी बांध का निर्माण कार्य?
इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि हिमाचल देव भूमि है. यहां जगह-जगह देवी देवताओं का वास है. राज्यपाल ने कहा कि श्री रेणुका जी बांध के निर्माण को लेकर 1960 में चर्चा शुरू हुई थी, लेकिन आज तक रेणुका जी बांध का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है जबकि इसका निर्माण कार्य बहुत पहले पूरा हो जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते हैं इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ हो जाता तो निर्माण कार्य में कम लागत आती. इस दौरान उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले 5 साल में बांध का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा.


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श्री रेणुका जी बांध से इन राज्यों को मिलेगा लाभ
राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा समय में इस बांध के निर्माण कार्य की लागत 7 हजार करोड़ रुपये आंकी जा रही है जो आने वाले समय में और बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि बांध निर्माण से हिमाचल के साथ-साथ पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, उतरप्रदेश, दिल्ली और राज्यस्थान को भी लाभ मिलेगा, जिसके लिए पहले ही समझौता हो चुका है. उन्होंने कहा कि बांध निर्माण में अभी करीब 6 साल का समय और लग जाएगा.


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बांध विस्थापितों ने राज्यपाल के सामने रखीं अपनी मांग
इस खास अवसर पर श्री रेणुका जी बांध विस्थापितों ने भी राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल से मुलाकात की और उन्हें एक मांग पत्र सौंपा. मुलाकात करने के बाद बांध विस्थापित संघर्ष समिति के महासचिव संजय चौहान ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बांध विस्थापितों की कई मांगे हैं, जिसके संदर्भ में एक मांग पत्र राज्यपाल को सौंपा गया है, उन्होंने कहा कि बांध विस्थापितों के पुनर्वास के लिए सरकार उचित व्यवस्था करे, इसके लिए मुख्य रूप से मांग उठाई गई है. संजय चौहान ने कहा कि राज्यपाल से गिरी नदी पर चमयाना आए मोहतु के लिए एक वैकल्पिक पुल निर्माण की भी मांग की गई है.