समीक्षा राणा/शिमला: आज हिमाचल प्रदेश अपना पूर्ण राज्य दिवस मना रहा है. 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश के निर्माता और पूर्व मुख्यमंत्री ने बर्फ के फाहों के बीच हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया था. हिमाचल प्रदेश ने 53 साल के सफर में कई विकासात्मक आयाम तय किए हैं. इस तरह हिमाचल प्रदेश भारतीय गणराज्य का 18वां राज्य बना. हिमाचल प्रदेश ने एक लंबी यात्रा तय की है. इस प्रदेश ने अनेकों सरकारें देखी हैं, जिसने राज्य को आर्थिक निर्भरता की ओर अग्रसर किया है.


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डॉ. यशवंत सिंह परमार ने दिया अहम योगदान
हिमाचल प्रदेश के गठन से लेकर पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने में डॉ. यशवंत सिंह परमार ने अहम योगदान निभाया था. यही वजह है कि उन्हें हिमाचल प्रदेश का निर्माता कहा जाता है. यशवंत परमार का जीवन इतना सरल रहा कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तब वह किसी वीआईपी प्रोटोकॉल के साथ नहीं बल्कि बस स्टैंड से लेकर सिरमौर तक एचआरटीसी की बस में सफर करते थे और जब उनकी मृत्यु हुई तब उनके अकाउंट में सिर्फ 563 रुपये थे इसलिए उन्हें आज हिमाचल का निर्माता कहा जाता है.


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हिमाचल के विकास को लेकर क्या कहते हैं प्रदेश के वरिष्ठ नागरिक?
हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद भी राज्य ने कई चुनौतियां और कठिनाइयां देखी हैं. पहाड़ी राज्य होने की वजह से यह कई सुविधाओं से वंचित रहा है, लेकिन अगर आज के समय में देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश काफी तरक्की कर रहा है. हालांकि अभी भी प्रदेश में टेक्नोलॉजी बढ़ाए जाने और सड़कों में सुधार लाने की आवश्यकता है.


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हिमाचल प्रदेश में बढ़ रहा भ्रष्टाचार
वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि प्रदेश में आधुनिक साधन होने चाहिए ताकि हम पर्यटकों को हिमाचल की ओर आकर्षित कर सकें. अभी भी यहां 90 से 95 प्रतिशत तक यात्रा सड़कों पर निर्भर करती है. ऐसे में हमें हवाई सेवाओं पर जोर देना चाहिए ताकि सैलानियों को बेहतर सुविधा मिले और वह आसानी से हिमाचल पहुंच सकें. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अभी भी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार हो रहा है, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है. ऐसे में यहां सबसे पहले भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए. 


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