ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: होला मोहल्ला धार्मिक पर्व के अवसर पर पांवटा साहिब में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो गया है. होली से पहली रात्रि को भव्य कवि दरबार का आयोजन किया गया. इस मौके पर ऐतिहासिक परंपरा अनुसार पांवटा साहिब के कवि दरबार में हिंदू, मुस्लिम, सिख आदि सभी धर्मों के कवि कविताओं का पाठ करते हैं. रात्रि में होने वाले कवि दरबार से पहले दिन भर दरबार साहब में गुरुवाणी और भजन कीर्तन होता रहा. 


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पांवटा साहिब में पिछले 339 वर्षों से कवि दरबार का आयोजन हो रहा है. गुरुद्वारों में कवि दरबार की प्रथा पांवटा साहिब से ही शुरू हुई थी. यहां दशम पिता गुरु गोविंद सिंह ने यह प्रथा शुरू की थी. एक समय था जब गुरु गोविंद सिंह हर माह की पूर्णिमा पर पांवटा साहिब में दरबार आयोजित किया करते थे. गुरु गोविंद सिंह दूर-दूर से कवियों को यहां बुलाते थे और उन्हें पुरस्कार देकेर सम्मानित भी करते थे. 


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कवि दरबार में सभी धर्मों के कवियों ने लिया हिस्सा 
इस समय उनके कवि दरबार में हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी धर्मों के कवि कविता पाठ करते थे. पांवटा साहिब गुरुद्वारे में दशम पिता द्वारा शुरू की गई इस परंपरा का आज भी उसी रूप में निर्वहन हो रहा है. यहां होला महल्ला के अवसर पर विशेष कवि दरबार का आयोजन किया जाता है. इस बार भी यहां कवि दरबार का आयोजन किया गया, जिसमें समूचे उत्तर भारत से लगभग 32 कवि पहुंचे. इनमें सिख कवियों के साथ हिंदू और मुस्लिम कवि भी शामिल थे. 


कवि दरबार में इन राज्यों से आए श्रद्धालु
होला मोहल्ला के अवसर पर आयोजित विशेष कवि दरबार में स्थानीय सिख संगठनों सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और चंडीगढ़ से सिख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. रात भर चले कवि दरबार में कवियों ने गुरु गोविंद सिंह सहित सिख धर्म के गुरुओं की कुर्बानी और देश हित में उनके बलिदान का कविताओं के माध्यम से बखान किया. विभिन्न राज्यों से आए कवियों ने यहां 'होला मोहल्ला' पर भी विशेष कविताएं पढ़ीं और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रयासों की सराहना की.


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