विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश में बीते 41 दिन से अडानी ग्रुप के दो सीमेंट प्लांट बंद पड़े हैं, जिसका सीधा असर सीमेंट कंपनी में कार्यरत ट्रक ऑपरेटर्स, कंपनी के कर्मचारी, इससे जुड़े विभिन्न दुकानदारों और ढाबा संचालकों पर पड़ रहा है.


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क्या है पूरा विवाद?
गौरतलब है कि सीमेंट कंपनी के लिए कार्य करने वाले ट्रक ऑपरेटर्स माल ढुलाई भाड़े को लेकर काफी समय से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. ट्रक ऑपरेटर्स 11.41 रुपये प्रति किमी के हिसाब से भाड़े की मांग कर रहे हैं जबकि सीमेंट कंपनी प्रबंधन घाटे में चलने की वजह से इस रेट पर सहमति नहीं दे रहा है. वहीं, 41 दिन से बंद पड़े सोलन के दाड़लाघाट और बिलासपुर के बरमाणा सीमेंट प्लांट के चलते हजारों ट्रक ऑपरेटर्स की आर्थिक स्थिति अब बद से बदतर हो गई है. 


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सीमेंट प्लांट को खुलवाना राज्य सरकार का है मसला 
वहीं, बिलासपुर जिला की झंडूता विधानसभा से भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान को एक पत्र लिखकर इस पूरे मामले को जल्द सुलझाने की मांग की है. झंडूता विधायक जीतराम कटवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि बरमाणा सीमेंट प्लांट बंद होने से झंडूता के करीब 600 ट्रक ऑपरेटर्स प्रभावित हुए हैं. पूरे जिला से हजारों ट्रक ऑपरेटर्स के रोजगार पर भी अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीमेंट प्लांट को खुलवाना राज्य सरकार का मसला है. 


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आंदोलन की दी चेतावनी
जीतराम कटवाल ने कहा कि उन्होंने पहले भी विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को उठाया था. आज सीमेंट प्लांट बंद हुए 41 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक प्रदेश सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. उन्होंने प्रदेश सरकार को अगाह करते हुए कहा कि अगर आने वाले समय में सीमेंट प्लांट नहीं खुलता है तो वह फिर से इस मुद्दे को आने वाले विधानसभा सत्र में उठाएंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि वह ट्रक ऑपरेटर्स के साथ मिलकर आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे.


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