विपन कुमार/कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश में साल 2022 में कांगड़ा चाय उत्पादन का ग्राफ 2021 के मुकाबले कुछ ऊपर गया है, लेकिन यह आंकड़ा 10 लाख किलो ग्राम के मैजिक फिगर को नहीं छू पाया है. जानकारी के अनुसार 2022 में प्रदेश में कुल 9.62 लाख किलो चाय तैयार हुई जो कि 2021 के आंकड़े 9.30 लाख किलो से 32 हजार किलो ज्यादा है जो कि 2022 में मौसम चाय उत्पादन के लिए अनुकूल था, जिसका असर पैदावार पर हुआ है, लेकिन इस साल भी यह आंकड़ा 10 लाख किलो तक नहीं पहुंच पाया.  


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चाय उत्पादन का बढ़ रहा ग्राफ 
बता दें, 2020 में प्रदेश में 10.87 लाख किलो चाय तैयार हुई थी. जानकारी के अनुसार 2020 में बड़े चाय उत्पादकों ने 9.30 लाख किलो चाय तैयार की थी जबकि छोटे चाय उत्पादकों ने 32 हजार किलो चाय उत्पादन किया. टी बोर्ड अधिकारियों के अनुसार चाय उत्पादन को लेकर शुरू की जा रही योजनाओं और पिछले कुछ समय से चाय उत्पादन से दूर हुए उत्पादकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसमें मशीनीकरण भी अहम रोल अदा कर रहा है. ऐसे में चाय उत्पादन का ग्राफ बढने की पूरी संभावना है.


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चाय उत्पादकों को किया जा रहा प्रोत्साहित
इस बारे में पालमपुर के टी-बोर्ड ऑफ इंडिया के अधिकारी अभिमन्यु शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि 2022 में कांगड़ा चाय उत्पादन का आंकड़ा 2021 से अधिक रहा है. 2022 में प्रदेश में कुल 9.62 लाख किलो चाय तैयार हुई जो कि 2021 के 9.30 लाख किलो से 32 हजार किलो ज्यादा है. टी बोर्ड की योजनाओं को चाय उत्पादकों तक पहुंचाया जा रहा है और उनको प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि साल 2023 में चाय उत्पादन का आंकड़ा बढ सके. 


1998-99 में टूटा था रिकॉर्ड
गौरतलब है कि 1990 से लेकर 2002 तक कांगड़ा चाय उद्योग काफी अच्छा चल रहा था. यहां हर साल 10 लाख किलो से अधिक चाय उत्पादन हो रहा था. चाय उत्पादकों के प्रयासों से 1998-99 में चाय उत्पादन के सभी रिकॉर्ड टूट गए थे. इस साल यहां 17 लाख किलो चाय का उत्पादन हुआ था, लेकिन कुछ कारणवश यह ट्रेंड ज्यादा समय तक जारी नहीं रह सका और पिछले कुछ सालों में तो चाय उत्पादन का आंकड़ा 10 लाख किलो से कम ही रहा है. 


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2003-2004 में हुआ था इतना उत्पादन 
2003 और 2004 में तो चाय का उत्पादन 7 लाख किलो तक ही सिमट कर रह गया. यह वो दौर था कि क्षेत्र के चाय उत्पादक अपने व्यवसाय से मुंह मोड़ कर अन्य व्यवसाय अपनाने को मजबूर हो गए. इन्हीं कारणों से 2004-2005 में चाय उत्पादन निचले स्तर पर जा पहुंचा और इस साल मात्र 6 लाख किलो चाय उत्पादन हुआ. और तो और इस दौरान बागान मालिकों ने अपने बागान बेचने की अनुमति मांगनी शुरू कर दी.


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