Sam Manekshaw Death Anniversary 2024: कौन थे भारत के पहले फील्ड मार्शल जिनके नाम से ही कांपती थी पाकिस्तानी सेना
Sam Manekshaw Death Anniversary 2024: सैम मानेकशॉ अपने बहादुरी के किस्सों के लिए जाने जाते हैं. आज के ही दिन 27 जून को उनका निधन हो गया था. उनके बहादुरी और रण कौशल के कारण ही भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में करारी शिकस्त दी थी. इस जीत का सारा श्रेय सैम मानेकशॉ को ही जाता है. प्रथम विश्व युद्ध में भी उनकी अहम् भूमिका थी. सैम अपने हाजिरजवाबी, जिंदादिली और सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए जाने जाते थे. आज उनकी पुण्यतिथि पर जानते है उनकी जीवनी के बारें में.
जन्म और शिक्षा
सैम मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर, पंजाब में हुआ. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से प्राप्त की और बाद में इंडियन मिलिटरी अकादमी, देहरादून से प्रशिक्षित हुए. वे इंग्लैंड जाकर पढाई करना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने उन्हें मना कर दिया तो वे सेना में भर्ती हो गए और बन गए सैम मानेकशॉ से सैम बहादुर.
सैन्य करियर
सैम मानेकशॉ 1934 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भर्ती हुए. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा में अपनी सेवाएं दीं, जहां वे गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे. स्वतंत्रता के बाद मानेकशॉ भारतीय सेना में शामिल रहे और विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे.
पहले विश्व युद्ध में दिखाई दिलेरी
साल 1942 में सैम मानेकशॉ बर्मा के मोर्चे पर अपने साथियों के साथ तैनात थे. युद्ध के दौरान जापानी सैनिक ने 7 गोलियां सैम के शरीर में दाग दी जो कि उनकी किडनी, आंत और लिवर में जाकर लगी. उनकी हालत को देखकर डॉक्टर ने इलाज करने से पहले तो मना कर दिया लेकिन इलाज के बाद तो जैसे चमत्कार ही हो गया और वो ठीक हो गए.
देश के पहले फील्ड मार्शल
मानेकशॉ को उनकी बहादुरी के लिए कई सम्मान मिले. उन्हें 1972 में फील्ड मार्शल का पद दिया गया, जो भारतीय सेना का सर्वोच्च रैंक है. इस पद को पाने वाले वे देश के पहले सैन्य अधिकारी थे. इसके साथ ही उनको 1968 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से नवाजा गया.
नाराज हो गई थी इंदिरा गांधी
साल 1971 में इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से मार्च में पाकिस्तान पर चढ़ाई करने के लिए कहा लेकिन सैम मानेकशॉ ने ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया. उन्होंने कहा की अभी सही समय नहीं है, मुझे 6 महीने का वक्त दीजिए. इस पर इंदिरा गांधी मान गई. छह महीने में उन्होंने सेना को ऐसे तैयार किया की भारत ने युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए.
फिल्म सैम बहादुर
इनकी जीवनी पर 'सैम बहादुर' नाम से फिल्म भी बनी है. इसमें अभिनेता विक्की कौशल ने सैम मानेकशॉ का रोल निभाया है. इसका निर्देशन मेघना गुलजार द्वारा किया गया है. फिल्म में सान्या मल्होत्रा, फातिमा सना शेख, नीरज काबी और मोहम्मद जीशान अय्यूब कलाकारों ने अपनी भूमिका अदा की है.
रिटायरमेंट और मृत्यु
सैम मानेकशॉ का विवाह सिलू मानेकशॉ से हुआ और उनके दो बच्चे थे. वे 1973 में सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए और कन्नूर, तमिलनाडु में शांतिपूर्ण जीवन के बाद साल 2008 में 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनके साहस, नेतृत्व और रणनीतिक दृष्टिकोण ने उन्हें एक महान सैन्य नेता के रूप में स्थापित किया. उनकी मृत्यु के बाद भी, उनका योगदान भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है.