SUNDAY SPECIAL: इश्क बरकरार रहेगा..तुमसे ही हर बार रहेगा...
SUNDAY SPECIAL- दिल की बात आज लबों पे आ जाने दीजिए,आज दिल से हो कर मोहब्बत गुजर जाने दीजिए. अगर आप भी अपने दिल की बात का इज्हार करना चाहते है तो हमारी ये पोस्ट SUNDAY SPECIAL दिल की बात की आप मदद ले सकते हैं.
SUNDAY SPECIAL-दिल की बात: प्यार का नाम लेते ही हमारा दिमाग का पहिया इतनी तेजी से घूमता है कि मानों फिल्मों के सारे डॉयलाग अपने आप जुबां पे आ जाते हैं, लेकिन अक्सर दिल की बात कहने के लिए हमारे पास वो शब्द नहीं होते.
कुछ लोग अपने दिल के जज्बात बोलने के बजाए लिख कर बयां करते हैं. SUNDAY SPECIAL में हम भी आपसे दिल की बात करने जा रहे है. क्या पता आपके दिल में भी यही बात चल रही हो. क्या पता अपने प्यार का इजहार करने के लिए ये दिल की बात आपकी मदद करें.
1. तुम किस्मत बनना मैं तकदीर बनूंगी...
तुम किस्मत बनना मैं तकदीर बनूंगी...
इस जन्म न सही उस जन्म बनूंगी..
वादा है एक मगर...
तुम हंसते रहना..
मैं हंसाती रहूंगी..
चुप तो अच्छी मैं भी नहीं लगती...
तुम मुस्कुराना मैं गुनगुनाती रहूंगी..
अपनी लिखी हर शायरी तुम्हें यूं ही सुनाती रहूंगी...
तुम किस्मत बनना मैं तकदीर बनूंगी...
इस जन्म न सही उस जन्म बनूंगी..
2. काश मैं सब ठीक कर पाती...
काश मैं सब कुछ ठीक कर पाती...
कभी-कभी सोचती हूं..
काश हम सब कुछ शुरू से शुरू कर पाते...
बस मैं..तुम और ढ़ेर सारे पहाड़...
एक सुंदर सी बहती झील....
मेरी और तुम्हारी कभी न खत्म होने वाली बातें..
बस कहीं दूर चलें जातें हम...
इस शोर से कहीं बहुत दूर..
जहां ये सही गलत हमें न रोक पाते..
और हमारा ये साथ हमेशा ऐसे ही रहें..
हर दिन एक नया सफर शुरू करें हम..
हर दिन एक नई कहानी लिखे हम..
काश मैं सब कुछ ठीक कर पाती...
3. जुदा तो एक दिन होना ही है..
तुम अपने हिस्से के फासले ले आना..
मैं अपने हिस्से की मंजूरी ले आउंगी..
तुम अपने हिस्से की बातें ले आना ..
मैं अपने हिस्से की खामोशी ले आऊंगी..
जुदा तो एक दिन होना ही है..
क्यों न पहला कदम मैं बढ़ाऊं...
आखिरी बार तुम्हें आंखों में भर कर..
पहली बार की तरह तुम पर फिदा हो जाऊं..
4. मोहब्बत बेपनाह है तुमसे..
खामोशियां भी बोलती है मेरी...
तुम सुनने आओगे क्या...
हर शायरी तुम्हारे लिए लिखती हूं..
तुम एक बार पढ़ कर सुनाओगे क्या...
खामोशियां भी बोलती है मेरी..
तुम सुनने आओगे क्या...
सासें भी तेरे नाम से आती जाती है...
एक बार इन्हें आजाद कर, खुल के जीना सीखाओगे क्या..
धड़कने जो तुझे देख कर रूक जाती है..
इन्हें एक बार जिंदगी का मतलब बताओगे क्या...
तन्हाई भी जिक्र तुम्हारा करती है..
इन्हें कुर्बत का अहसास करवाओगे क्या..
मोहब्बत बेपनाह है तुमसे..
एक बार आंखों में पढ़कर बतोओगे क्या..
खामोशियां भी बोलती है मेरी..
तुम सुनने आओगे क्या...
5. कहना बाकी रह गया है तुम्हें..
वो कहानी जो दस साल पहले शुरू हुई थी..
मैं आज भी उसमें जी रही हूं..
तुम तो बहुत आगे निकल आए हो...
मगर मैं आज भी उस दोराहें पर खड़ी हूं...
इस इंतजार में की शायद तुम आओ..
मुझे कस के गले लगाओ..
और कहो..की तुम यहीं क्यों थम गई हो..
अभी तो सारा सफर बाकी है साथ चलने को..
बोलो.. साथ आओगी या नहीं..
मंजील का भरोसा नहीं मगर,
सफर की खूबसूरती का एहसास जरुर करवाऊंगा तुम्हें..
तुम मेरी राह एक बार आजमा कर तो देखो..
सफर से हसीन कुछ भी नहीं..मंजिल भी नहीं..कुछ रास्ते अधूरे ही अच्छे लगते है...
मगर तभी मेरे जबाब देने से हर बार की तरह
आज भी मेरी आंखें खुल गई..
कहना बाकी रह गया है तुम्हें..
कि हम भी उन्हीं रास्तों की तरह अधूरे हो गए..
6. ये प्यार क्या होता...
एक दिन यूहीं बातों बातों में ..
पूछ लिया उसने..
कि सुनो ...
ये प्यार क्या होता...
जो जबाब सुनते ही दिल की धक्कड़ने बढ़ा दें...
वो है प्यार..
जो दिन के ख्यालों में भी है..
और रात के ख्वाबों में भी है..
वो है प्यार..
जिसका जुनून भी है
और जो सुकून भी है..
वो है प्यार..
जिसका दीदार हो दिन की सहर में ..
जिसका ख्याल हो वक्त की हर पहर में....
वो है प्यार..
यूं तो मुश्किल भी नहीं है..
पर आसान भी नहीं है...
वो है प्यार..
आंखों के आंसू भी..
और चेहरे की हंसी भी हो जिससे..
वो है प्यार..
जिसे समझना जितना मुश्किल है..
उतना ही मुश्किल लिखना है..
वो है प्यार..
कभी न खत्म होने वाला सिलसिला है प्यार..
7. कब मैं इतनी गलत हो गई..
सही गलत सोचते सोचते..
कब मैं इतनी गलत हो गई..
पता ही नहीं चला..
राज सीने में दफन करते करते..
खुद की खुशियों में कब कफन चढ़ गया..
पता ही नहीं चला..
वो कहता रहा मुझे..
रुक जाओ..
मगर राहें कहां सफर छोड़ती है...
लहरें कहां समंदर छोड़ती है...
किनारे को छूं कर वापिस चली जाती है..
कब किनारे छोड़ते छोड़ते साथ छुट गया..
पता ही नहीं चला..
सासें दम तोड़ रही है..
यादें जिंदगी मोड़ रही है..
कुछ कहने को बाकी है...
मगर अल्फाज नहीं है..
जुबान अल्फाज जोड़ रहीं है..
कब जिस्म रुह से जुदा हो गया....
पता ही नहीं चला...
8. ये हवा भी बहुत कुछ कहती है..
यूं ही नहीं हाल ए दिल बयां हो जाता...
कागज कलम से ...
हर जज्बात खुल के जीना पड़ता है..
गम हो या आंसू..
हंसी हो या खुशी..
हर एहसास में गुलना पड़ता है ..
यूं नहीं हाल ए दिल बयां हो पाता..
कागज कलम से ...
हर जज्बात खुल के जीना पड़ता है..
प्यार हो या नफरत..
मोहब्बत हो या इबादत..
हर खामोशी सुननी पड़ती है..
गौर से सुनो.. ये हवा भी बहुत कुछ कहती है..
यूं नहीं हाल ए दिल बयां हो पाता..
कागज कलम से ...
हर जज्बात खुल के जीना पड़ता है..
9. काश हम कभी जुदा न हो...
काश तुम मिलते न ...
और मिले है तो ..
काश हम कभी जुदा न हो...
तुम्हें पता अब हमारा रिश्ता ना. इस काश के जैसा हो गया है..
बस ख्वाबों में ही अहमियत है इसकी...
क्योंकि..
तुम्हारे पास वक्त ही कहां है अब हमारे लिए...
याद है वो बातें जो गुजारी है साथ..
याद है वो शामें जो डूबी है साथ..
याद है वो मुलाकातें जो नजरानें बन गई है..
सच और झूठ से परे एक अफसाने बन गई हैं...
10. सिर्फ तुम हो...
ख्याल भी तुम्हारा है..
और ख्याल भी तुम हो...
राज भी तुम्हारा है...
और राज भी तुम हो...
ख़्वाब भी तुम्हारा है..
और ख़्वाब भी तुम हो..
दिल पे लगी चोटभी तुम हो...
और दवा भी तुम हो...
जो मुझे छू कर गुजरे हर शाम
वो हवा भी तुम हो...