World Red Cross Day: क्या है रेड क्रॉस संगठन का इतिहास, कब और कैसे हुई शुरुआत?
World Red Cross Day 2023: दुनियाभर में आज `विश्व रेड क्रॉस डे` मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य घायल और असहाय नागरियों व सैनिकों की रक्षा करने के प्रति लोगों को जागरुक करना है.
World Red Cross Day 2023: हर साल दुनियाभर में आज का दिन यानी 8 मई को 'विश्व रेड क्रॉस डे' के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को रेड क्रिसेंट आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है जो हेनरी डुनेंट रेड क्रॉस ने शुरू किया. हेनरी ड्यूनेंट इंटरनेशनल ऑफ द रेड क्रॉस के संस्थापक थे. इन्हें 1901 में नोबल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. इस दिन को हेनरी ड्यूनेंट की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन लोग मानवतावादी संगठन और उसकी ओर से मानवता की सहायता के लिए हेनरी डुनेंट के अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं.
बता दें, हेनरी ड्यूनेंट ने 1863 में इंटरनेशनल ऑफ द रेड क्रॉस (ICRC) की स्थापना की थी. रेड क्रॉस एक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन है. इसका मुख्यालय स्वीजरलैंड के जिनेवा में स्थित है. इस संस्था का संचालन कई नेशनल सोसाइटी मिलकर करती हैं. वर्ल्ड रेड क्रॉस डे का मुख्य उद्देश्य असहाय और घायल सैनिकों और नागरिकों की रक्षा करना है. रेड क्रॉस संगठन और इनके वॉलेंटियर्स लोगों की सेवा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं.
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कोरोना काल में बढ़ गई थी इस संगठन की अहमियत
पिछले 2 साल से जारी कोरोना काल में इस संगठन की अहमियत और अधिक बढ़ गई है. कोरोना वायरस को हराने के लिए रेड क्रॉस युद्धस्तर पर काम कर रही है. इस संस्था से जुड़े लोग कोरोना से बचाव करने के लिए दुनियाभर में जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रहे हैं. साथ ही लोगों को मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर भी बांट रहे हैं.
क्या है रेड क्रॉस संगठन का इतिहास
हेनरी ड्यूनेंट ने 1859 में इटली में सॉल्फेरिनो का युद्ध देखा था, जिसमें कई सैनिक घायल हो गए थे जबकि कई सैनिक शहीद भी हुए थे, लेकिन उस समय किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए कोई भी क्लिनिकल सेटिंग नहीं थी. इस सब को देखते हुए ड्यूनेंट ने वॉलेंटियर्स का एक ग्रुप बनाया जिसने युद्ध में घायल जवानों तक खाना और पानी पहुंचाया. इतना ही नहीं इस ग्रुप ने उनका इलाज कर उनके परिजनों को चिट्ठियां भी लिखीं
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एक किताब में प्रकाशित किया अपना अनुभव
इस घटना के 3 साल बाद हेनरी ने अपने अनुभव को एक किताब 'ए मेमोरी ऑफ सॉल्फेरिनो' में प्रकाशित कराया. इस पुस्तक में उन्होंने एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया. ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके, जो किसी भी देश की नागरिकता के आधार पर नहीं बल्कि मानवीय आधार पर लोगों के लिए काम करे. उन्होंने इस सुझाव पर अगले ही साल अमल भी किया.
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