प्रेरणा से भर देगी इस मुस्लिम IAS की कहानी; जानें एक ऑटो चालक का बेटा कैसे बना लाटसाहब?
IAS Azharuddin Quazi Success Story: एक छोटे से शहर में पले-बढ़े लोगों के कभी-कभी ही सपने पूरे होते हैं. अक्सर लोग टूट जाते हैं और सपनों का पीछा करना छोड़ देते हैं, लेकिन अजहरुद्दीन में सपने देखने की हिम्मत थी. आइए जानते हैं IAS Azharuddin Quazi की कहानी.
IAS Azharuddin Quazi Success Story: महाराष्ट्र के यवतमाल के निवासी अज़हरुद्दीन क़ाज़ी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बनने के लिए एक बेहद कठिन यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने अपने मेहनत के बदौलत सामाजिक परंपरओं को तोड़ दिया और कठिन हालातों को मात दी. एक छोटे से शहर में पले-बढ़े लोगों के कभी-कभी ही सपने पूरे होते हैं. अक्सर लोग टूट जाते हैं और सपनों का पीछा करना छोड़ देते हैं, लेकिन अजहरुद्दीन में सपने देखने की हिम्मत थी.
साल 2006 में एक आईपीएस अधिकारी से मिलने के बाद उन्होंने IAS बनने का सपना देखा, जिसके बाद वो कड़ी लगन और मेहनत से पढ़ाई करने लगे. कई लोग आर्थिक तंगी की वजह से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं, लेकिन अजरुद्दीन ने आर्थिक तंगी को कभी अपने आड़े नहीं आने दिया और अपने अटूट संकल्प के साथ अपने सपनों को साकार किया. आइए जानते हैं उन्होंने कैसे UPSC का एग्जाम क्रैक किया.
आर्थिक तंगी की वजह से निजी बीमा कंपनी में किया काम
अज़हरुद्दीन के पिता एक ऑटो चालक हैं और माँ हाउस वाइफ हैं. अज़हरुद्दीन ने अपने परिवार को आर्थिक तंगी से उभारने के लिए कड़ी मेहनत की. हाई स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने पुणे के कारवारी कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया था. हालांकि, परिवार में आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें एक निजी बीमा कंपनी में काम किया और अपने गृहनगर में स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
प्रोफेसर ने दिया था ये सुझाव
स्नातक की पढ़ाई करते वक्त अज़हरुद्दीन के जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट आया, कॉलेज के एक प्रोफेसर ने सुझाव दिया कि वह UPSC की तैयारी करें. उन्होंने इसके लिए अज़हरुद्दीन को काफी प्रोत्साहित किया, अज़हरुद्दीन UPSC के बारे में सुना था, लेकिन वह अपनी मौजूदा हालात को देखते हुए UPSC की तैयारी करने में झिझक रहे थे. इसके बाद प्रोफेसर आश्वासन दिया कि वह छोटी शुरुआत करके भी अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. इसके बाद उनके भीतर एक चिंगारी जली और UPSC की तैयारी शुरू कर दी.
जनरल टिकट से की यात्रा
अजहरूद्दीन के लिए दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी करना आसान नहीं था. दिल्ली में निजी कोचिंग सेंटर ज्यादातर महंगे थे, लेकिन उन्होंने हमदर्द स्टडी सर्कल की खोज की, जो एक संगठन था जो अल्पसंख्यक और एससी/एसटी के बच्चों को UPSC की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहन राशि देता था. इसके बाद अज़हरुद्दीन ने रात भर जागकर जनरल टिकट से दिल्ली की यात्रा की.
पहले अटेम्प्ट में हुए असफल
UPSC में अज़हरुद्दीन के पहले अटेम्प्ट असफल हुए. पढ़ाई के दौरान अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष करने के कारण वित्तीय दबाव बढ़ने लगा. उन्होंने स्थिर नौकरी का रास्ता चुनने पर विचार किया, लेकिन IAS अधिकारी बनने का सपना ख़त्म नहीं हुआ. साल 2012 में उन्होंने बैंक पीओ के रूप में कॉर्पोरेशन बैंक में नौकरी की. सात सालों तक उन्होंने लगन से काम किया, कभी अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा.
सेकेंड अटेम्प्ट में इतने नंबर से चुके
फिर साल 2018 में अज़हरुद्दीन ने एक साहसिक फैसला लिया. उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली लौट आए. उनके परिवार और दोस्तों ने चिंता जाहिर की, लेकिन वह इस दृढ़ विश्वास से प्रेरित थे कि उन्हें प्रयास न करने का अफसोस नहीं हो सकता. उन्होंने प्रिलिम्स एग्जाम तो पास कर ली, लेकिन मेंस एग्जाम में 21 अंकों से चूक गए. इसके बावजूद वो हार नहीं मानें और उन्होंने इसे अपनी कमजोरियों को पहचानने और मजबूत करने के मौका के रूप में देखा.
चौथे अटेम्प्ट में सपना किया साकार
फिर से साल 2019 में तैयारी शुरू की. अज़हरुद्दीन ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 315 हासिल की और उनका आईएएस अधिकारी बनने का सपना साकार हो गया.