Manmohan Singh Birthday: मनमोहन सिंह उन प्रधानमंत्रियों में शुमार होते हैं, जिन्होंने अपने कामों से भारत के इतिहास में अपना नाम हमेशा के लिए अमर कर दिया. 26 सितंबर 1932 को वेस्ट पंजाब के गाह में जनमें मनमोहन एक राजनेता, इकोनोमिस्ट, एकेडमीशियन और ब्यूरोक्रेट रह चुके हैं. बतौर पीएम उनका कार्यकाल 2004 से 2014 तक रहा. आज मनमोहन सिंह का जन्मदिन है और इस मौके पर हम आपको उनके बारे में अहम जानकारी देने वाले हैं.


देश के पहले सिख प्रधानमंत्री


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वह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री रह चुके हैं. नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद जनता ने फिर से चुना और बेहतर मेंडेट से चुना. मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान के पंजाब के एक गांव गाह में हुआ था. 1947 में जब बंटवारा हुआ तो तब भारत आ गए.


कैसी रही शुरुआती जिंदगी?


पाकिस्तान से विस्थापित होकर मनमोहन सिंह हलद्वानी आए थे. जब वह छोटे थे तो उनकी मां का निधन हो गया. उनके दादा-दादी ही ने उन्हें पाला-पोसा और उनकी पढ़ाई-लिखाई कराई. मनमोहन सिंह की शुरुआती पढ़ाई उर्दू में हुई थी. यहां तक की जब वह प्रधानमंत्री बन गए तो वह अपनी स्पीच की स्क्रिप्ट उर्दू में ही लिखते थे. कई बार वह अपनी स्पीच गुरुमुखी में भी लिखते थे.


1948 में मनमोहन सिंह अमृतसर शिफ्ट हो गए थे. जहां के हिंदू कॉलेज से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. उन्होंने होशियारपुर की पंजाब यूनिवर्सिटी से इकोनोमिक्स में 1952 में बैचलर डिग्री की और फिर 1954 में मास्टर डिग्री पूरी की. उन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की. वे सेंट जॉन्स कॉलेज के सदस्य भी रह चुके हैं.



ऑक्सफॉर्ड से डॉक्टरेट 


ऑक्सफ़ोर्ड से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद, सिंह ने 1966-1969 के दौरान संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया. इसके बाद उन्होंने अपना नौकरशाही करियर तब शुरू किया जब ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया.


भारतीय सरकार में कई पोस्ट पर रहे मनमोहन सिंह


1970 और 1980 के दशक के दौरान, सिंह ने भारत सरकार में कई प्रमुख पदों पर कार्य किया, जैसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976), रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985) और योजना आयोग के प्रमुख (1985-1987).



1991 इकोनोमिक क्राइसेस


1991 यह वह दौर है जिसमें मनमोहन सिंह की पॉलिसीज़ ने पूरी दुनिया में नाम कमाया और उन्होंने अपनी इन्हीं योजनाओं के बलबूते भारत को गहरी खाई से बाहर निकाल कर खड़ा कर दिया. 1991 में, जब भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तो उस वक्त के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव ने सिंह को वित्त मंत्री के तौर पर अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया. अगले कुछ सालों में, कड़े विरोध के बावजूद, उन्होंने कई संरचनात्मक सुधार किए, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई. 



पूरी दुनिया में हुई मनमोहन सिंह की वाह-वाह


ये उपाय आर्थिक संकट को टालने में सफल साबित हुए और सिंह को बतौर इकोनोमिस्ट वर्ल्ड लेवल पर काफी मकबूलियत मिली, लेकिन 1996 के आम चुनाव में मौजूदा कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा. इसके बाद, 1998-2004 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान सिंह राज्यसभा (भारतीय संसद के ऊपरी सदन) में विपक्ष के नेता रहे.


2004 में बनी कांग्रेस की सरकार


2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार सत्ता में आई, तो इसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री पद की कुर्सी सिंह को सौंप दी. उनके पहले मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और सूचना का अधिकार अधिनियम सहित कई महत्वपूर्ण कानून और परियोजनाएं क्रियान्वित कीं. 


2008 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते के विरोध के कारण वाम मोर्चा दलों द्वारा अपना समर्थन वापस लेने के बाद सिंह की सरकार लगभग गिर गई थी. लेकिन, उनके शासनकाल में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी. 2009 के आम चुनाव में यूपीए ने बढ़े हुए जनादेश के साथ वापसी की, जिसमें सिंह ने प्रधानमंत्री का पद बरकरार रखा.