सोशल मीडिया का कैसे करें इस्तेमाल? पढ़ें उभरते शायर और राजनेता की नसीहत
नजमुज्जमा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचजी कर रहे हैं. उन्होंने कई शेर व शायरी और अफसाने लिखे हैं. उन्होंने नगर पंचायत का इलेक्शन भी लड़ा है.
नजमुज्जमां उत्तर प्रदेश के जिला बहराईच के तहत आने वाले कस्बे जरवल से ताल्लुक रखते हैं. फिलहाल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे हैं. वह "बीसवीं सदी की उर्दू गजल का समाजयाती मुतालआ" टॉपिक पर रिसर्च कर रहे हैं. डाक्टर मुश्ताक सदफ उनको गाइड कर रहे हैं. नजमुज्जमां को लिखने का शौक है. उन्होंने अब तक कई शेर, गजलें और अफसाने लिखे हैं. उन्होंने "वालिद" नाम का एक अफसाना लिखा है जो बाप और बेटे की मुहब्बत पर है. इसके अलावा "टैटू" नाम का एक अफसाना लिखा है, जो बढ़ती फिरकापरस्ती पर चोट करता है.
राजनीति में एक्टिव
नजमुज्जमां पॉलिटिकली और सोशली काफी एक्टिव हैं. साल 2023 में अपने कस्बे नगर पंचायत जरवल से अध्यक्ष पद के लिए इलेक्शन लड़ चुके हैं.
सोशल और पॉलिटिकल मुद्दों पर लेखन
इसके अलावा सोशल और पॉलिटिकल इशू पर अक्सर लिखते रहते हैं. नजमुज़्ज़मां सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. उनका कहना है कि नौजवानों और स्टूडेंट्स को सोशल मीडिया को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए. इसे अच्छे मक़सद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. नजमुज्जमां शोसल मीडिया पर अक्सर अल्पसंख्यकों, दलितों और औरतों के मुद्दे उठाते रहते हैं. नजमुज्जमां के मुताबिक सोशल मीडिया से हमें इतने अच्छे-अच्छे दोस्त मिले हैं, जो असल दुनिया में कभी न मिलते.
बोलने की सलाहियत
पढ़ने-लिखने के साथ-साथ नजमुज़्ज़मां अच्छा बोल लेते हैं. वह अब तक कई बार लखनऊ विधानसभा के सामने, अपने होम टाऊन जरवल में कई रैलयों को खिताब कर चुके हैं. इसके अलावा स्कूल टाइम में 26 जनवरी और 15 अगस्त पर अक्सर बोलते रहे हैं. नजमुज्जमां बोलने के पीछे अपनी जानकारी का होना बताते हैं. इसके लिए वह अक्सर पढ़ते हैं.
नजमुज्जमां के बारे में कुछ और
नजमुज़्ज़मां ने कक्षा 8 तक की पढ़ाई बहराईच जिले के कस्बे जरवल के एक मशहूर स्कूल (मदरसा मिल्ली इस्लामिक हाईयर सेकेण्डरी स्कूल) की है. हाईस्कूल और इण्टर की पढ़ाई ‘जय जवान जय किसान’ इंटर कॉलेज से की है. लखनऊ विश्विद्यालय से उर्दू में बीए और एमए. इसके बाद दिल्ली युनिवर्सिटी से एम.फ़िल किया. अब अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे हैं.
नजमुज़्ज़मां की कुछ शायरियां यहां पढ़ें...
खुद से बातें करना हो, तो घर का कोना अच्छा है
इंसानों के दर्द को जानूं, इंसां का होना अच्छा है
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रो रहा था वह बाप बेटी से लिपट कर
गरीब घर का रास्ता, भूली हैं किस्मतें
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जीतकर जो तहसीन मिली थी मुझको
हार कर मिले इस प्यार से हार गई है
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हाथों को हाथ में लेकर
दिल में इंसाफ की पुकार लेकर
इंसानियत का दर्द समेटे
सच के साथ खड़े हैं दोनों
बस,
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कभी ठेकेदारी की चादर नहीं लपेटे
चलते जा रहे हैं
बढ़ते जा रहे हैं
शुरुआत की थी तंहा
अब लोग मिलते जा रहे हैं
इतना ही बस कहुंगा
यूं ही चलते जाना
यूं ही बढ़ते जाना
हम साथ चलेंगे
हम साथ लड़ेंगे!!
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तुम कभी हुए तो नहीं मेरे, पर हक जताना जरूरी है
जो थी ही नहीं, उस कहानी को अपना बताना जरूरी है
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सच ही कहा था कि वक्त के साथ बदलना होगा
तुम यूं बदल जाओगे सोचा भी नहीं था
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आज फिर दिल उदास है हमदम
याद ये तेरी पास है हमदम
मैं तो एक तुफ्ल नादां जैसा
तू जमाना शनास है हमदम
क्या खबर तू बावतन वो कैसा हो
दिखता जो खुश लिबास हमदम
मैं तो है दस्त व पा सा बेचारा
तू ही मेरा असासा है हमदम
सुख को भूले हुए जमाना हुआ
अब तो बस दुख ही रास है हमदम
आज फिर तेरी याद आई है
फिर नजम वक्फ यास है हमदम
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कुछ तो रिश्ते खराब रहने दो
घर क्या हम शहर बसा लेंगे
खाली आंखों में ख्वाब रहने दे
सोचना भी क्या बीते लम्हों पर
मुझको आखिर किताब रहने दे
जिंदगी यूं भी लतीफ न कर
कुछ तो रिश्ते खराब रहने दे
सब्र ए अय्यूब भी जरूरी है
होठ सी ले जवाब रहने दे
तशनगी यूं भी न छीन मुझसे
प्याले में चिपकी शराब रहने दे
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