Champaran Mutton In Oscar Race: बिहार के युवक और युवतियां जिस तरीके से राज्य से शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश ही नहीं, बल्कि विश्व के पटल पर अपना नाम रोशन कर रहे हैं उससे यह पता जरूर चलता है कि बिहार में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली फलक खान देश ही नहीं, बल्कि विदेश के पटल पर अपना परचम लहराने के लिए तैयार हैं. प्रोफेसर ए आर खान की पुत्री फलक खान की फिल्म 'चंपारण मटन' ऑस्कर अवार्ड की रेस में शामिल हो चुकी है.जो पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है.


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सेमीफाइनल में बनाई जगह
फिल्म ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड 2023 के सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे फलक इस मकाम तक पहुंचीं. फलक मुजफ्फरपुर इंजीनियरिंग कॉलेज एमआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद मुंबई आ गईं और वहां पर उसने एमबीए की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्हें फिल्मों में काम करने और फिल्म बनाने का शौक पैदा हुआ. उनके परिवार वालों ने पूरा सहयोग करने की बात कही उसके बाद फलक ने अपने मुजफ्फरपुर में छोटा सा स्टूडियो बनाकर फिल्म बनाने का काम शुरू किया. 




बचपन से ही फिल्मों में रुचि थी: प्रोफेसर
फलक के पिता प्रोफेसर ए आर खान ने बताया फलक बचपन से ही क्रिएटिव थी और पढ़ाई के साथ-साथ फिल्मों में उसकी रुचि थी. जब वह मुजफ्फरपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर एमबीए के लिए मुंबई गई और वहां से उसने एमबीए पूरा करने के बाद फिल्मों में काम करने की इच्छा जताई तो उन्होंने खुद छोटी-छोटी फिल्म बनाने के लिए घर में ही एक छोटा सा स्टूडियो का निर्माण कराया. उसके बाद यहां से उसने कई ऐसे फिल्म को तैयार किया जो देश में अपना परचम लहराने लगीं. इसी बीच उसकी एक फिल्म 'चंपारण मटन' ऑस्कर के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब रही.



1700 से अधिक फिल्मों का हुआ था नॉमिनेशन 
फलक खान की फिल्म 'चंपारण मटन' यूएस, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस समेत कई देशों के बीच भारत से अकेली यह फिल्म स्टूडेंट अकादमी अवार्ड के सेमीफाइनल में पहुंची है. इस अवार्ड के लिए कई देशों से 1700 से अधिक फिल्मों का नॉमिनेशन हुआ था और उस बीच में भारत से चंपारण मटन ने सेमीफाइनल में जगह हासिल की है. फलक के अभिनय से सजी फिल्म चंपारण मटन दुनियाभर में डंका बजा रही है. इसमें फलक की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में चुनी गई है. स्टूडेंट अकादमी अवार्ड फिल्म इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट और फिल्म मेकर के लिए होता है.यह ऑस्कर का ही एक विंग है और साल 1972 से यह अवार्ड दिए जा रहे हैं.


Report: Manitosh Kumar


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