Khaderu Miyan: देश की आयरन लेडी से मशहूर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी  की 107वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कई दिग्गज हस्तियों ने उन्हें खिराज ए अकीदत पेश की है. इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा निवासी खदेरू मियां की ईमानदारी की चर्चा हर तरफ हो रही है. आखिर इंदिरा गांधी की जयंती के मौके खदेरू मियां की चर्चा क्यों हो रही है. आइए जानते हैं.


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क्या है पूरा मामला
दरअसल, ईमानदारी और देशभक्ति की मिसाल कायम करते हुए खदेरू मियां ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को करोड़ों संपत्ति सौंपा था. हालांकि, इसके बदले में सरकार ने उन्हें लाखों की जमीन दी थी. इसके बावजूद न तो वह जमीन खदेरू के जीवन भर काम आई और न ही उनके परिवार को उसका कोई फायदा मिल सका. सरकार से मिले बेशकीमती 13 बीघा जमीन के मालिक खदेरू मियां दर-दर भटकने के बाद उनकी मौत हो गई. अब उनका परिवार गरीबी के दौर से गुजर रहा है और सरकार और प्रशासन से अपनी संपत्ति वापस दिलाने की मांग कर रहा है. 



मिली थे करोड़ों के संपत्ति
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1980 में खदेरू मियां बाघा स्टेशन चौक के पास किराना दुकान चलाते थे. उस दुकान के पीछे एक खंडहर भवन था. जब वे शौच के लिए उस जर्जर मकान में गए तो उन्हें एक चमकती हुई वस्तु दिखाई दी. जिसके बाद उन्होंने अंदर खुदाई की तो उन्हें सोने का एक घड़ा दिखाई दिया. खदेरू मियां ने उस घड़े को जमीन से निकाला और लोगों को दिखाने के लिए अपनी दुकान पर ले आए. जब ​​घड़े को खोला गया तो लोग दंग रह गए. क्योंकि उसमें करोड़ों रुपये के हीरे, जवाहरात और सोने के बिस्किट भरे हुए थे. 


यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और प्रशासन को भी इसकी भनक लग गई. इसके बाद प्रशासन ने खदेरू मियां पर घड़ा सौंपने का दबाव बनाना शुरू किया लेकिन उन्हें प्रशासन पर भी भरोसा नहीं था. तब सरकार ने खदेरू मियां की ईमानदारी का इनाम देते हुए उन्हें 13 बीघा जमीन का पट्टा और रोडवेज और रेलवे के लिए फ्री पास जारी किया था.



इंदिरा गांधी से मिला था इमानदारी का इनाम


वहीं, पूर्व वार्ड पार्षद दयाशंकर सिंह खुद बताते हैं कि खदेरू भाई ने तय किया था कि सोने से भरा यह घड़ा सरकारी खजाना है और वह इसे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ही सौंपेंगे, जिसके बाद उन्हें प्रशासन की सुरक्षा में दिल्ली ले जाया गया और उन्होंने खुद उस घड़े को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपा था. पीएम उनकी ईमानदारी से काफी प्रभावित हुईं और डीएम को निर्देश दिया कि खदेरू की ईमानदारी के फलस्वरूप उन्हें सरकारी जमीन उपहार में दी जाए.



दी गई थी जंगल से सटी जमीन
हालांकि, खदेरू मियां का 5 सितंबर 2021 को निधन हो गया, लेकिन उनकी ईमानदारी का फल आज तक नहीं मिल पाया है. उनके पोते मोहम्मद फिरोज ने बताया कि इंदिरा गांधी ने मेरे दादा को 13 बीघा जमीन देने का आदेश दिया था, लेकिन दी गई जमीन जंगल से सटी थी. इसलिए आज तक हम उस जमीन पर कब्जा नहीं कर पाए हैं. मेरे दादा डीएम ऑफिस और वन विभाग के दफ्तर के चक्कर लगाते-लगाते मर गए, लेकिन ईमानदारी का इनाम नहीं मिल सका. ऐसे में परिवार और स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि ईमानदार दिवंगत खदेरू मियां के आश्रितों को जब उनकी इनामी जमीन मिलेगी, तभी इंदिरा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.