Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान और अन्य देशों में मौजूद अपने गुर्गों के माध्यम से आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के वास्ते कथित रूप से धन जुटाने से संबंधित मामले में आज यानी 14 नवंबर को एक मुल्जिम को जमानत दे दी. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने जावेद अली की अपील को एक्सेप्ट कर लिया, जिसमें उसने अप्रैल में जमानत देने से इनकार करने वाले लोअर कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.


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कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने कहा कि आरोपी 10 नवंबर, 2019 से न्यायिक हिरासत में है और अभियोजन द्वारा आरोपपत्र में दिए गए 221 गवाहों में से अब तक सिर्फ नौ की ही जांच की गई है. इसलिए, मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में कुछ समय लगने की संभावना है. पीठ ने कहा कि सबूतों और मामले की मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर जमानत दी जाती है. 


साल 2019 में हुई थी गिरफ्तारी
अली को नवंबर 2019 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी शेख अब्दुल नईम उर्फ ​​सोहेल खान को वित्तपोषित करने में उसकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था. खान को उसके सहयोगियों के साथ भारत में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कथित आपराधिक साजिश के लिए गिरफ्तार किया गया था.


NIA ने लगाया था गंभीर इल्जाम
एनआईए ने इल्जाम लगाया था कि जांच से पता चला है कि अली प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर से जुड़ा था और 2017 में सऊदी अरब से यूपी के मुजफ्फरनगर तक हवाला चैनलों के जरिए फंड की व्यवस्था करने में शामिल था और जिसे नईम ने प्राप्त किया था. एजेंसी ने कहा था कि आतंकी फंड का इस्तेमाल भारत में विभिन्न स्थानों पर लश्कर के लिए आतंकवादियों की भर्ती करने और विदेशी नागरिकों और पर्यटकों सहित आसान लक्ष्यों की पहचान करने के लिए किया गया था.