Uttar Pradesh Crime: उत्तरप्रदेश के हरदोई में पुलिस कर्मियों की संवेदनहीनता की तस्वीरें सामने आई हैं. सड़क हादसे में घायल युवती के परिजन उसे एसपी दफ्तर लेकर फरियाद लगाने पहुंचे थे. एसपी से मिलने के बाद लाचार युवती को वापस ले जाने के लिए परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. एसपी दफ्तर से कुछ दूरी पर परिजनों की गाड़ी खड़ी थी और युवती चलने में असहाय थी साथ ही दर्द से कराह रही थी. युवती के परिजन एसपी ऑफिस के गेट पर मौजूद पुलिस कर्मियों से बाहर खड़ी गाड़ी को अंदर लाकर युवती को ले जाने की गुहार लगाते रहे लेकिन पुलिस कर्मियों ने यह कहकर मना कर दिया कि साहब की गाड़ी आने वाली है उनकी गाड़ी नहीं आ सकती. 


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पुलिस की संवेदनहीनता
पुलिस के मना करने के बाद परिजनों ने मजबूरन जमीन पर चादर बिछा दी और युवती को उस पर लिटाया, जिसके बाद परिजनों ने चादर के एक-एक कोने पकड़ा और फिर उसे करीब 50 मीटर खींचकर बाहर लाए तब जाकर युवती को परिजन गाड़ी से घर ले जा सके. संवेदनहीनता का प्रकरण सामने आने के बाद अब कोई भी पुलिस अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. 


सड़क हादसे में घायल हो गए थे भाई-बहन
हरदोई जिले में चादर के कोने पकड़कर उस पर रोती बिलखती युवती को लेटाकर ले जाने की यह तस्वीरें एसपी दफ्तर की है. सड़क हादसे में घायल युवती चलने में असहाय है और उसके परिजन पुलिस की संवेदनहीनता के चलते उसे खींचकर ले जाने को मजबूर हैं. दरअसल थाना लोनार के जगदीशपुर गांव का रहने वाला अनूप कश्यप पुलिस लाइन आरटीसी में खाना बनाता था. अनूप कुछ रोज पहले बाइक से अपनी बहन को लेकर घर जा रहा था, रास्ते में सामने से आ रही बाइक से उसकी बाइक टकरा गई. दोनों भाई बहन गंभीर रूप से घायल हो गए उन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल से लखनऊ रेफर कर दिया गया. अनूप के हाथ और पैर में चोट आई तो उसकी बहन रोली का पैर फ्रैक्चर हो गया, आपरेशन के बाद रोली चलने में असहाय हो गई. अस्पताल से छुट्टी होने के बाद आज दुर्घटना में घायल भाई बहन पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई की मांग को लेकर मिलने एसपी दफ्तर पहुंचे यहां पुलिस अधीक्षक से फरियाद लगाने के बाद परिजन वापस लौट आए.


एसपी आवास में नहीं जाने दी घायल लड़की की गाड़ी 
पुलिस अधीक्षक से मिलकर लौटे परिजनों ने दर्द से कराह रही युवती रोली को घर ले जाने के लिए एसपी दफ्तर के गेट पर ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों से चौपहिया वाहन अंदर लाकर युवती को ले जाने की गुहार लगाई लेकिन ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों ने परिजनों को अंदर गाड़ी लाने के लिए यह कहकर मना कर दिया कि साहब की गाड़ी आने वाली है, उनकी गाड़ी अंदर नहीं आ सकती. परिजन पुलिस कर्मियों से काफी देर तक गुहार लगाते रहे लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा. ऐसे में दर्द से कराह रही युवती को अंदर से बाहर लाने के लिए परिजनों को चादर बिछानी पड़ी और उस पर युवती को लिटाना पड़ा, जिसके बाद परिजनों ने चादर का एक-एक कोना पकड़ा और फिर गाड़ी की ओर ले जाने के लिए निकल पड़े. एसपी दफ्तर के अंदर से करीब 50 मीटर की दूरी तक परिजनों को चादर तानकर युवती को खींचकर ले जाना पड़ा. इस दौरान युवती दर्द के चलते रोती बिलखती रही. ऐसे में ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों की संवेदनहीनता सामने आने के बाद अब कोई भी पुलिस अफसर इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. 


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