Muzaffarnagar Riots: उत्तर प्रदेश के मंत्री कपिल देव अग्रवाल समेत कई बीजेपी नेताओं के आज यानी 29 अक्तूबर को मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले में यहां एक विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. कोर्ट के समक्ष पेश न होने पर उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे. 


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यति नरसिंहानंद नहीं हुए पेश
एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश देवेंद्र फौजदार ने आरोपियों के खिलाफ 21 अक्टूबर को जारी वारंट वापस ले लिया और इल्जाम तय करने के लिए 16 नवंबर की तारीख तय की. इसी बीच गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के विवादास्पद मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद अदालत में पेश नहीं हुए और उनके खिलाफ फिर से गैर-जमानती वारंट जारी किया गया. 


कोर्ट ने दिया ये आदेश
कोर्ट ने सभी आरोपियों को अगली तारीख पर पेश होने को कहा. अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, "उत्तर प्रदेश के मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विहिप नेता साध्वी प्राची, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री सुरेश राणा, पूर्व बीजेपी सांसद भारतेंदु सिंह, पूर्व बीजेपी विधायक उमेश मलिक और अशोक कंसल और डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद समेत बीस लोग इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं."


लगे थे कई गंभीर इल्जाम
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 341 (गलत रोक के लिए दंड) और 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करना) के तहत आरोप लगाए गए हैं.


मुजफ्फरनगर दंगों में कितने लोग मारे गए?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, आरोपियों ने यहां नागलामडोर गांव में एक पंचायत की बैठक में हिस्सा लिया, हिंसा भड़काई और अगस्त 2013 में अपने भाषणों के माध्यम से निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में 2013 के सांप्रदायिक दंगों में 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे.