Amrish Puri Special: अमरीश पुरी ने 30 साल से भी ज्यादा वक्त तक फिल्मों में काम किया और नकारात्मक भूमिकाओं को इस प्रभावी ढंग से निभाया कि हिंदी फिल्मों में वो बुरे आदमी का पर्याय बन गए. अगर आज आज वह जिंदा होते तो वह अपना 91वां बर्थडे मना रहे होते. किसी भी फिल्म को हिट बनाने के लिए, उसमें विलेन का होना उतना ही जरूरी है, जितना उसके हीरो का. जब भी भारतीय सिनेमा में विलेन्स की बात होती है, तो सबसे पहला नाम अमरीश पुरी का आता है. उन्होंने जो भी किरदार पर्दे पर उतारे, वे दर्शकों के दिलों में इतने बसे कि उन्हें भुलाया नहीं जा सका. अमरीश के निभाए हुए रोल्स ही नहीं, उनके डायलॉग्स भी इतने मशहूर हुए कि आज तक अक्सर लोगों की जुबां से सुनने को मिलते हैं. लेकिन उनके करीब लोग बताते हैं कि निजी ज़िन्दगी में अमरीश पुरी बेहद कूल और शांत स्वाभाव के इंसान थे. 


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कब किया था दुनिया को अलविदा


भले ही अमरीश पुरी आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने शानदार अंदाज और फिल्मों के वजह से वह हमेशा दर्शकों के दिलों में जिंदा रहेंगे. अमरीश के जैसा दूसरा एक्टर नही हो सकता. एक्टर ने 12 जनवरी, 2005 को हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.


 बिना पलकें झपकाए 17 मिनट की एक्टिंग


अमरीश पुरी अपने किरदार को बहुत अच्छे से करते थे.उन्होंने धर्मवीर भारती का लिखा नाटक ‘अंधा युग’ में भी धृतराष्ट्र का किरदार निभाया. यह अमरीश का पहला नाटक था. उनका किरदार अंधे रहने का था. अमरीश पुरी ने 17 मिनट तक बिना पलकें झपकाए उस नाटक को पूरा कर दिखाया. उनके इस जज्बे को देख हर कोई दंग रह गया.


किस फिल्म के दौरान हुआ एक्सीडेंट 


अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 2003 में अमरीश हिमाचल प्रदेश में फिल्म 'जाल: द ट्रैप' की शूटिंग कर रहे थे. उस दौरान एक्टर का बहुत बुरा एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें उन्हें बहुत चोटें लगी थीं और काफी खून बह गया था. फिर उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उन्हें खून से जुड़ी बीमारी मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम हो गया. जिसकी वजह से यह सब हुआ. 27 दिसंबर को अमरीश को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तभी उनकी माथे की एक सर्जरी हुई थी. जिससे कोई फायदा नही हुआ. फिर 12 जनवरी 2005 को वह कोमा में चले गए और उसके बाद ब्रेन हैमरेज की वजह से उनकी मौत हो गई थी.


अमरीश की फिल्में


अमरीश ने हिंदी, पंजाबी, मराठी और तेलुगू मिलाकर 450 से अधिक फिल्मों में काम किया था. उनकी कुछ फिल्में निशांत', 'गांधी', 'कुली', 'नगीना', 'राम लखन', 'त्रिदेव', 'फूल और कांटे', 'विश्वात्मा', 'दामिनी', 'करण अर्जुन', 'कोयला' आदि शामिल हैं.