Controversy on Ajmer-92: 'द केरल स्टोरी' फिल्म के बाद अब 'अजमेर-92' फिल्म विवादों में आ गई है. यह फिल्म अगले महीने ही रिलीज होने वाली है. यह अजमेर में 30 साल पहले हुए लड़कियों पर हमले पर बनी है. इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया है. मुस्लिम तंजीम जमीयत उलमा-ए-हिंद ने 'अजमेर-92' के खिलाफ मोर्चा खोला है. जमीयत ने इस फिल्म पर बैन लगाने की मांग की है. 


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जमीयत-उलमाए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि "अजमेर शरीफ की दरगाह को बदनाम करने के लिए बनी फिल्म पर फौरन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. आपराधिक घटनाओं को धर्म से जोड़ने के बजाय अपराधों के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की जरूरत है ये  फिल्म समाज में दरार पैदा करेगी."


मौलाना महमूद मदनी ने ख्यावाज मुइनुद्दीन चिश्ती को हिंदू-मुस्लिम एकता का उदाहरण बताया. जमीयत के मुताबिक वह शांति और सद्भाव के दूत हैं. मदनी ने कहा कि "जिन लोगों ने उनके पवित्र व्यक्तित्व का अपमान या अपमान करने की कोशिश की, वे खुद अपमानित हुए है."


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मौलाना महमूद मदनी के मुताबिक अजमेर से जिस तरह की आपराधिक घटनाएं सामने आ रही हैं वह घिनौनी हरकत है. लेकिन इसकी आड़ में देश को तोड़ने वाले विचारों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए. 


'अजमेर-2' फिल्म के डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह हैं. इस फिल्म में जरीना वहाब, सयाजी शिंदे और मनोज जौशी जैसे किरदार हैं. फिल्म को असली कहानी पर आधारित बताया जाता है. फिल्म में अजमेर में 100 से ज्यादा लड़कियों को ब्लैकमेल किए जाने और उनका यौन उत्पीड़न किए जाने की कहानी बताई गई है. लड़कियों में ज्यादातर स्कूल जाने वाली लड़कियां हैं. बाद में कई लड़कियों ने आत्महत्या करने की कोशिश की. फिल्म के कंटेट पर विवाद हो रहा है. फिल्म 14 जुलाई को रिलीज होने वाली है.


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