Javed Akhtar Birthday: कम ही लोग जानते हैं कि दिग्गज पटकथा लेखकों जावेद अख्तर और गुलजार की पहली मुलाकात साल 1971 में आई रमेश सिप्पी की फिल्म “अंदाज” के लिए काम करते समय हुई थी. वहीं से दोनों की दोस्ती शुरू हुई जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है. इसकी एक बानगी सोमवार रात देखने को मिली जब गुलजार ने “जादूनामा” पुस्तक का विमोचन किया, जिसका शीर्षक अख्तर के उपनाम ‘जादू’ से लिया गया है.


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अख्तर ने लिखी अंदाज की स्क्रिप्ट


एक ओर, अख्तर ने “अंदाज” की अतिरिक्त पटकथा पूर्व लेखक व साथी सलीम खान के साथ लिखी थी, तो गुलजार को इसके संवाद लिखने का काम सौंपा गया था. इस फिल्म में शम्मी कपूर, हेमा मालिनी, राजेश खन्ना और सिमी गरेवाल ने अभिनय किया था. 


अब भी एक दूसरे को खत लिखते हैं


जावेद अख्तर  ने कहा, “गुलजार साहब संवाद लिख रहे थे और हम अतिरिक्त पटकथा लिख ​​रहे थे. फिल्म हिट हो गई और गुलजार साहब और मैं दोनों अच्छे दोस्त बन गए. हम अक्सर नहीं मिलते लेकिन जब भी हम मिलते हैं घंटों बात करते हैं.” अख्तर ने कहा कि वे दोनों आज भी एक दूसरे को खत लिखते हैं. 


दोनों ने एक दूसरा का उत्साह बढ़ाया


उन्होंने कहा, “हम इस बारे में बात करते हैं कि हमने क्या लिखा और एक-दूसरे का क्या पढ़ा. मुझे फायदा है क्योंकि मुझे ज्यादातर चीजें याद हैं और उन्हें ज्यादा याद नहीं है.” अख्तर के मुताबिक, उन्होंने और गुलजार (88) ने कभी भी एक-दूसरे को प्रतिस्पर्धी के रूप में नहीं देखा बल्कि एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाते रहे हैं. 


दोनों अच्छा लिखते हैं


उन्होंने कहा, “हमारी लेखन शैली एक दूसरे से अलग है लेकिन हमारे बीच एक बात समान है कि हम दोनों अच्छा लिखते हैं. उदाहरण के लिए (प्रख्यात कवि व अख्तर की पत्नी शबाना आजमी के दिवंगत पिता) कैफी साहब और सरदार जाफरी भाई जैसे थे. ऐसा नहीं है कि आप एक पेशे में हैं, तो आप एक दूसरे से ईर्ष्या करेंगे.


अच्छे काम की तारीफ होनी चाहिए


उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि कम आत्मविश्वास वाले व्यक्ति में ईर्ष्या की भावना होती है. अच्छे काम की सराहना की जानी चाहिए. मैंने कई बार गुलजार साहब की उन गीतों या पंक्तियों के लिए प्रशंसा की है जो उन्होंने 20 साल पहले लिखे थे.” अपने युग के सबसे महान उर्दू कवियों में से एक माने जाने वाले गुलजार ने कहा कि वह अकसर हिंदी की बारीकियां सीखने के लिए अख्तर की मदद लेते हैं क्योंकि वह भाषा से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं. 


कॉलेज फेल हो गए


“कोशिश”, “मौसम” और “माचिस” जैसी फिल्मों के लिए चर्चित गुलजार ने कहा, “मैं बहुत पढ़ा लिखा व्यक्ति नहीं हूं. मैं कॉलेज में फेल हो गया था.” उन्होंने, “मैंने बंटवारे से पहले दिल्ली में अपने आसपास रहने वाले लोगों से ऊर्दू सीखी. विभाजन के बाद, हिंदी (अधिक) बोली जाती थी. मैं हिंदी ज्यादा पढ़ लिख नहीं सकता. मैं उर्दू में पढ़ता और लिखता हूं और मैंने साइनबोर्ड से थोड़ी सी देवनागरी सीखी है. 


ईद का चांद हैं गुलजार


जावेद साहब ने भाषा सीखी है और जब भी मेरे पास शब्द कम होते हैं, मैं उन्हें फोन करता हूं.” एकांतप्रिय गुलजार को 'ईद का चांद' बताते हुए अख्तर ने कहा कि वह पुस्तक के विमोचन के लिए उनके आभारी हैं. उन्होंने कहा, “ईद के चांद की न्यूनतम गारंटी है कि एक साल में एक बार दिखता ही है, ये न्यूनतम गारंटी भी इनसे नहीं मिलती.” अख्तर ने कहा, “मैं गुलजार साहब का आभारी हूं. वह ज्यादा कहीं आते-जाते नहीं हैं और मुझे खुशी है कि उन्होंने यहां आकर मेरी पुस्तक का विमोचन किया.” ‘जादूनामा’ अख्तर के सार्वजनिक भाषणों, साक्षात्कारों और बयानों का संकलन है.


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