कश्मीर का अकेला सिनेमा हॅाल जहां, फिल्म देखने उमड़ी भीड़; हाउसफुल चल रही ये हिंदी फिल्म
Kashmir News: तीन दशकों के बाद कश्मीर घाटी में सिनेमा के प्रति दर्शकों का फिर से रूझान बढ़ने लगा है. घाटी के मात्र एक सिनेमा हॅाल में 6 महिने से हाउसफुल शो चल रहा है.
Kashmir News: तीन दशकों से अधिक समय के बाद, कश्मीर घाटी में अंततः सिनेमा का पुनरुद्धार हुआ.बड़े पर्दे पर फिल्में देखने के लिए लोगों की कतार लगने से घाटी में फिल्म संस्कृति वापस आती दिख रही है. धर्मा प्रोडक्शंस की 'रानी और रॉकी की प्रेम कहानी'पिछले छह महीनों में घाटी के एकमात्र मल्टीप्लेक्स में हाउसफुल शो चलाने वाली तीसरी फिल्म है.
करण जौहर द्वारा निर्मित फिल्म 'रानी और रॉकी की प्रेम कहानी' को कश्मीर के इकलौते सेनिमा हाल में बंपर ओपनिंग मिली है. फिल्म के लिए की गई प्री बुकिंग से पता चलता है कि यह काफी समय तक हाउसफुल रहेगी. पिछले हफ्ते की शुरुआत में, क्रिस्टोफर नोलन की "ओपेनहाइमर" श्रीनगर में हाउसफुल शो चल रही थी.ओपेनहाइमर बैक-टू-बैक हाउसफुल शो चला रहा था. जिससे यह घाटी में ऐसी प्रतिक्रिया दिखाने वाली पहली हॉलीवुड फिल्म बन गई है.
आईनॉक्स मल्टीप्लेक्स के मालिक विकास धर ने कहा, “रॉकी और रानी, का पहला शो और दूसरा शो पूरी तरह बुक रहा. हाल ही में करण जौहर ने कश्मीर के लोगों का शुक्रिया अदा किया था.इस फिल्म शूटिंग गुलमर्ग में हुई है और वे इसे बड़े पर्दे पर देखने के लिए लोग उत्साहित हैं. यह फिल्म कश्मीर से संबंधित है. जिसको लेकर उन्हें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. ओपेनहाइमर का पहला शो हाउसफुल होगा, लोग मुझे फोन और सोशल मीडिया पर काल कर रहे थे और मुझसे ओपेनहाइमर को चलाने के लिए कह रहे थे. हमने वादा निभाया लेकिन जिस तरह की निरंतर सफलता मिली.जो भी फिल्में अच्छी हैं उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. फिल्मों की शूटिंग हो रही है और अब हम कश्मीर लेखकों आदि को भी बॉलीवुड में प्रवेश करते हुए देख रहे हैं. बहुत जल्द कश्मीर में और भी सिनेमा हाल खुलेंगे".
1990 के बाद घाटी में सिनेमा
श्रीनगर के लोन थिएटर में हाउसफुल जाने वाली पहली फिल्म शाहरुख खान अभिनीत "पठान" थी. इसे घाटी में जनता से भारी प्रतिक्रिया मिली और यह कई हफ्तों तक हाउसफुल चली थी. ये फिल्म न केवल श्रीनगर बल्कि कश्मीर क्षेत्र के अन्य दूर-दराज के जिलों से भी फिल्म देखने आ रहे हैं. घाटी की युवा पीढ़ी ने अपने जीवन में कभी थिएटर नहीं देखा है. 1990 की शुरुआत तक कश्मीर में दर्जनों सिनेमा हॉल थे, लेकिन आतंकवाद की शुरुआत के साथ, घाटी के सभी सिनेमा हॉल आतंकियों ने बंद कर दिए थे.
स्थानीय दर्शक ने कहा
स्थानीय दर्शक ज़ैनब भट्ट ने कहा, “मैंने अपने 15 साल दिल्ली में बिताए हैं, और वहां रहकर फिल्म दर्शक न बनने का सवाल ही नहीं उठता है. यहां पहला सिनेमा हाल खुल गया है और मैं अक्सर यहां आता हूं, खासकर वीकएंड पर और यहां समय बिताता हूं. सिनेमा में फिल्में देखना ग़लत माना जाता था लेकिन अब समय बदल रहा है. इस मल्टीप्लेक्स में परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लग रहा है. मैं यह फिल्म इसलिए देख रहा हूं क्योंकि यह पारिवारिक प्रेम के बारे में है. हमें परिवारों के साथ समय बिताना चाहिए और साथ में फिल्में देखनी चाहिए. मैं सभी को सुझाव दूंगा कि वे आएं और बड़े स्क्रीन पर फिल्में देखें.
श्रीनगर के शिवपोरा इलाके में स्थित मल्टीप्लेक्स में तीन स्क्रीन हैं और कुल मिलाकर लगभग 520 लोगों के बैठने की क्षमता है. घाटी में सिनेमा दोबारा खुलने के बाद यह तीसरी बार है, जब मल्टीप्लेक्स के बाहर हाउसफुल के बोर्ड लगे हैं. पिछले 6 महीने से कश्मीर के एक मात्र सेनिमा में जिस तरह कश्मीर के लोग बड़े पर्दे पर फ़िल्म देखना पसंद करते दिखे उसे लगता हैं कश्मीर और सिनेमा का रिश्ता अटूट हैं.