Kishore Kumar: अपने बेहतरीन गुलूकारी के लिए पहचाने जाने वाले सिंगर किशोर कुमार का जन्म दिन है. किशोर कुमार एक बेहतरीन एक्टर के तौर पर भी पहचाने जाते हैं. उन्होंने हिंदी फिल्म के अलावा बंगाली, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू समेत कई भारतीय भाषाओं में गाया था. किशोर कुमार के जन्म दिन के मौके पर हम आपको किशोर और रफी के बारे में कुछ बताने जा रहे हैं. दोनों को लेकर एक सवाल हमेशा उठता रहा है कि कौन बड़ा सिंगर था? हालांकि इसका जवाब एक बार खुद किशोर कुमार ने भी दिया था. 


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मो. रफी बड़े सिंगर थे या किशोर कुमार?


हिंदी सिनेमा के सबसे कामयाब गुलूकारों में शुमार किए जाने वाले मोहम्मद रफी ने समकालीन गायकों में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. जिसकी बराबरी करने के बारे में आज के सिंगर सोच भी नहीं सकते. रफी साहब ने 1940 के दशक से शुरू कर 1980 तक तकरीबन 26,000 गाने गाए. इनमें ना सिर्फ फिल्मी गाने बल्कि ग़ज़ल, भजन, देशभक्ति गीत, क़व्वाली के अलावा इलाकाई भाषाओं में गीत गाए. मोहम्मद रफी के साथ-साथ एक और सिंगर का जिक्र करना भी जरूरी है, जिनका नाम है किशोर कुमार. किशोर कुमार अपने एक अलग अंदाज़ के लिए पहचाने जाते हैं. दोनों ने बहुत मकबूलियत भी हासिल की. यही वजह है कि कई बार यह भी आवाज़ उठी है कि मोहम्मद रफी और किशोर कुमार में से कौन बड़ा सिंगर था?


कुदरती सिंगर थे किशोर कुमार


यूं तो ये सवाल ही नहीं उठना चाहिए, अगर मोहम्मद रफी साहब और किशोर कुमार से यह सवाल पूछा जाता तो यकीनन वो एक दूसरे को ही बड़ा बताते. दोनों ही हिंदी सिनेमा के दिग्गज गुलूकार हैं और दोनों की आपस में तुलना करना ठीक भी नहीं. ये सवाल अब से नहीं बल्कि उनके दौर से ही शुरू हो गया था. मैगजींस में दोनों के बीच तुलना की जाने लगी थी. जिससे परेशान होकर किशोर कुमार ने मैगज़ीन को ही खत लिखकर कई सवाल पूछे थे. फिर भी कुछ चीजें हम आपको बताते हैं कि आखिर दोनों दिग्गजों में क्या-क्या चीजें अलग थीं. सबसे पहले तो यह बता दें कि मोहम्मद रफी और किशोर कुमार का करियार लगभग साथ चल रहा था. लेकिन मोहम्मद रफी एक ट्रेंड सिंगर थे, जिन्होंने गायकी सीखी थी लेकिन किशोर कुमार कुदरती सिंगर थे. 


छोटी सी अवधि के लिए कमजोर पड़े थे मोहम्मद रफी


एक खबर के मुताबिक दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर ने कहा था कि मोहम्मद रफी के ज़माने में 90 फीसद गाने वही गाया करते थे और उनके सिर्फ 10 फीसद गाने बाकी सिंगर्स के हाथ लगते थे. उन 10 फीसद गानों में किशोर कुमार का भी हिस्सा भी शामिल है. किशोर कुमार का दौर आरडी बर्मन के समय में शुरू हुआ था. इन दिनों में स्क्रीन पर राजेश खन्ना जैसे स्टार्स का जलवा था. जबकि मोहम्मद रफी इस दौर से बहुत पहले ही अपना लोहा मनवा चुके थे. मोहम्मद रफी एक बहुत छोटे से अरसे के लिए शीर्ष से नीचे आए थे, मतलब यह कि जब मोहम्मद रफी ने गाया तो इंडस्ट्री पर राज किया था. सिर्फ एक छोटी सी अवधि के लिए रफी कमजोर हुए थे. उसकी भी एक बड़ी वजह है. 


इस्लाम की वजह से छोड़ दिया था गाना


मोहम्मद रफी को लेकर कहा जाता है कि वो अपने मज़हब इस्लाम को लेकर काफी संजीदा थे. इसलिए उन्होंने एक मुफ्ती के कहने पर गाना छोड़ दिया था. मोहम्मद रफी ने सऊदी अरब जाकर हज का मुकद्दस सफर भी किया था. कहा जाता है कि इसी दौरान एक मुफ्ती से बातचीत हुई थी. क्योंकि इस्लाम में गाने गाना हराम है. इसलिए मोहम्मद रफी ने तकरीबन 19-20 महीनों के लिए गाना छोड़ दिया था. जिस समय रफी ने गाना छोड़ा था उस वक्त तक उनका मुकाबला करने वाला कोई नहीं था. 


रफी साहब के सामने खुद को कुछ नहीं समझता: किशोर कुमार


रफी साहब के गाना छोड़ने के बाद किशोर कुमार शीर्ष पर पहुंच जाते हैं. एक के बाद एक फिल्मों में आवाज़ देने के बाद किशोर कुमार अपने करियर की बुलंदी पर पहुंच जाते हैं. यानी जब किशोर कुमार ऊपर उठ रहे थे तो रफी साहब गाना छोड़ चुके थे. हालांकि एक लंबे अरसे के बाद रफी साहब वापसी करते हैं और 1974-75 में उनको लोगों से वही प्यार मिला जो उनको मिला करता था. रफी बड़े सिंगर या किशोर कुमार? यह सवाल बहुत पुराना है. जब फिल्मी मैगजींस में ये सवाल पूछा जा रहे थे तो किशोर कुमार ने खुद एक पत्रिका को खत लिखकर कहा था कि मुझे इस तुलना से बहुत तकलीफ होती है. मैं रफी साहब की बहुत इज्ज़त करता हूं और उनके सामने खुद को कुछ भी नहीं समझता. 


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