बीते कुछ वर्षों में, योग के शाश्वत अभ्यास ने खुद को प्राचीन ज्ञान और मॉडर्न मेडिकल साइंस के इंटरसेक्शन पर खड़ा पाया है. भारत की आध्यात्मिक परंपराओं की गोद में पैदा हुआ योग एक सदियों पुरानी प्रैक्टिस है जो स्वास्थ्य और वेलबीइंग के लिए बेहद मशहूर है और अब भारत की गोद से निकलकर दुनिया भर में  मशहूर हो चुका है.
आज के इस दौर में जहां हर छोटी से लेकर बड़ी बीमारी के लिए हमारे पास हर तरह की दवाईयां मौजूद है, योग का हेल्थकेयर के साथ समावेश एक फिनोमिनल घटना बन गया है. कई अध्ययनों ने पाया है कि योग तनाव और चिंता से लेकर पुराने दर्द और हृदय रोग तक कई प्रकार की चिकित्सीय स्थितियों पर बेहद अच्छा प्रभाव डालता है और यही कारण है कि आज जैसे-जैसे योग की चिकित्सीय क्षमता के बारे में सबूत बढ़ते जा रहे हैं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता इसे उपचार योजनाओं, पुनर्वास कार्यक्रमों और कल्याण पहलों में शामिल कर रहे हैं. इसका सबसे हाल का उदाहरण है AIIMS की ओर से किया गया एक नया अध्ययन, जिसमें उन्होंने योग को एपीलेप्सी से पीड़ित मरीजों में बेहद मददगार पाया है.


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पहले जाने क्या होती है एपीलेप्सी?
एपीलेप्सी जिसे मिर्गी कहा जाता है एक सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर है जिसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं. मिर्गी से पीड़ित कुछ लोगों को बार-बार और गंभीर दौरे(seizures) पड़ते हैं, कुछ लोगों को अपने जीवनकाल में केवल एक या दो बार हल्के दौरों का सामना करना पड़ता है. सौभाग्य से, मिर्गी के इलाज़ और मैनेजमेंट के लिए कई दृष्टिकोण हैं, जिनमें दवा और जीवनशैली में बदलाव सबसे आम है.


कैसे करता है योग मदद?
मन और शरीर पर योग के  शांत प्रभाव के कारण योग , मिर्गी से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद पाया गया है.  यह तनाव को कम करने में सहायता करता है, जो कुछ लोगों में दौरे का कारण बन सकता है. इसके अलावा, योग दिमागीपन को बढ़ावा देता है, जो चिंता और अवसाद के प्रबंधन में सहायता कर सकता है, जोकि मिर्गी के दो सामान्य साइडइफ़ेक्ट है. इतना ही नही योग से कोर मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे संतुलन और समन्वय(coordination) में सुधार होता है क्योंकि मिर्गी से पीड़ित कई लोग बार-बार दौरे पड़ने या उनके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के परिणामस्वरूप समन्वय की हानि का अनुभव करते हैं. इसके अलावा, शोध से पता चला है कि नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से मिर्गी के दौरों की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है. यह मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को सक्रिय करता है जो अनैच्छिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के प्रभारी हैं, जो  दौरे से जुड़े लोग काफी अच्छा महसूस करते हैं,  इसके साथ-साथ उनके मूड को भी अच्छा रखने में मदद करता है.गहरी सांस लेना, एक ऐसा योग है जो मस्तिष्क में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है.


क्या  है AIIMS की यह स्टडी?
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग में पीएचडी कर रही डॉक्टर किरनदीप कौर ने मिर्गी की बीमारी के शिकार 160 मरीजों पर एक महत्वपूर्ण स्टडी की है. इस स्टडी को अमेरिका के जर्नल "न्यूरोलॉजी" में प्रकाशित किया गया है. यह स्टडी सेंटर फॉर इंटिग्रेटिव मेडिसिन विभाग के साथ सहयोग करके की गई है. एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की हेड, डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी, बताती हैं कि यह दुनिया में की गयी पहली स्टडी है जिसने मरीजों को योग और दूसरे मरीजों को सामान्य एक्सरसाइज़ के बीच फर्क को साबित किया है. इस अनुसंधान से प्राप्त नतीजे इस  रोग के इलाज में योग की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर कर रहे हैं और इससे नौकरी कर रहे पेशेवर चिकित्सकों को नई दिशा मिल रही है. इस स्टडी के मुताबिक योग करने से ब्रेन की कई बड़ी बीमारियों में फायदा  देखा गया है मगर एपीलेप्सी जिसे दिमाग से सम्बंधित सबसे बड़ी और मुश्किल बिमारियों में से एक माना  जाता है उसमे भी काफी फायदा  देखा गया है.  160 मिर्गी के मरीजों को शामिल किया, जिनमें से 80 को योगासन करवाए गए और बाकी 80 को Sham Yoga यानी योग जैसी लगने वाली कसरत करवाई गई, जिसमें सांसों की गति और तकनीकों की जानकारी नहीं दी गई. छः महीनों तक चली इस स्टडी ने बेहद चौकाने वाले नतीजे दिए. योग क्रियाओं के सही अनुसंधान के साथ, सांस लेने, छोड़ने और रोकने में माहिर मरीजों में बाकि मरीजों से 7 गुना अधिक फायदा  पाया गया . सभी मरीजों को योग गुरु की मार्गदर्शन में, हफ्ते में  5 दिन 45 से 60 मिनट तक योगासन करवाया गया जिसमे क्ष्म व्यायाम, प्राणायाम और ध्यान यानी मेडिटेशन शामिल थे. मात्र 3 महीनों के अन्दर मिर्गी के मरीजों में तनाव और एंग्जाइटी यानी बेचैनी काफी कम पाई गयी जिससे उनके दौरों में भी काफी कमी आई.


कौन से योगासन किए जा सकते हैं.
योग मुद्राएं जो तंग मांसपेशियों को खींचने और कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, मिर्गी से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद मानी गयी हैं. डाउनवर्ड डॉग (अधोमुख संवासन), वारियर II (वीरभद्रासन II) और ट्री पोज़ (वृक्षासन) जैसे पोज़ सभी अच्छे विकल्प हैं जो पूरे शरीर में मांसपेशी समूहों को लक्षित करते हैं और साथ ही संतुलन और स्थिरता को भी बढ़ावा देते हैं. उज्जायी ब्रीदिंग जैसे श्वास व्यायाम भी कई लाभ प्रदान करते हैं, जिसमें तनाव के स्तर को कम करना और पूरे शरीर में शांति की भावना प्रदान करना शामिल है - जो मिर्गी से पीड़ित लोगों के लिए  बिल्कुल सही है.