Cancer: कैंसर का नाम आते ही हम कांप जाते हैं. पहले ऐसा माना जाता था कि ज़्यादा उम्र के लोग कैंसर (Cancer) का शिकार होते हैं, लेकिन हाल ही में ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में ये ख़ुलासा हुआ है, कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर का ख़तरा लगातार बढ़ता जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 के बाद पैदा हुए लोगों में 1970 में पैदा हुए लोगों के मुकाबले कैंसर का ख़तरा ज़्यादा रहता है. जिसको इस तरह देखा जा रहा है कि नए लोग  कैंसर का ज़्यादा शिकार बन सकते हैं. पिछली पीढ़ियों के मुक़ाबले नौजवान इसकी चपेट में आ सकते हैं.


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कैंसर होने के कारण


पहले और अबकी जीवनशैली में कई तरह के बदलाव हुए हैं. आज के दौर में नौजवानों में गुटखा का चलन तेज़ी से बढ़ गया है. स्मोकिंग, शराब और प्रदूषण जैसी चीजों को कैंसर की अहम वजह माना जाता है, लेकिन नई रिसर्च के मुताबिक़ आपके बचपन से लेकर अभी तक का लाइफ स्टाइल भी कैंसर के लिए ज़िम्मेदार है. मोटापे को भी कैंसर की अहम वजह माना जाता है. बचपन से मोटे लोगों में कैंसर का ख़तरा ज़्यादा रहता है. हाल के दिनों में दुनिया भर में कैंसर से पीड़ित युवा लोगों की तादाद में इज़ाफ़ा दर्ज किया गया है. शरीर में  पोषण की कमी को भी कैंसर की अहम वजह से तौर पर माना जाता है. अगर किसी गर्भवती महिला में पोषण की कमी है तो उसके बच्चे में कैंसर होने का अंदेशा बढ़ जाता है. 


50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर का ज़्यादा ख़तरा


ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक़ 50 से कम उम्र और 50 से ज़्यादा उम्र के लोगों में कैंसर का जीन अलग-अलग पाया जाता है. इसका प्रभाव भी अलग होता है. 50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर होना ज़्यादा नुक़सानदेह होता है.  रिपोर्ट में बताया गया है कि नई पीढ़ियों को कैंसर से ज़्यादा ख़तरा है. ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने 14 तरह के कैंसर पर रिसर्च की है. जिसमें अलग-अलग वजह सामने आई है. इसलिए कैंसर से बचने के लिए शुरु से ही अपनी हेल्थ पर तवज्जे देने की ज़रुरत है.


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