Digital Vision Syndrome: स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है. लेकिन धीरे-धीरे इसके खतरे भी लोगों के सामने आ रहे हैं. हाल ही में हैदराबाद में स्मार्टफोन चलाते हुए एक औरत की आंखों की रोशनी चली गई. हैदराबाद के डॉक्टर सुधीर कुमार ने अपने ट्विटर पर पोस्ट किया है कि एक औरत अंधेरे में स्मार्टफोन चला रही थी, तभी उसकी आंखों की रोशनी चली गई. डॉक्टर ने बताया कि "मंजू नाम की एक औरत में तेज चमक और जिगजैग पैटर्न और एकाग्रता की कमी नजर आ रही थी. कई बार ऐसा भी हुआ कि औरत को कुछ सेकंड के लिए कुछ भी नजर नहीं आया."


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स्मार्टफोन पर बढ़ा वक्त


डॉक्टर सुधीर ने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में मंजू नाम की एक औरत की कहानी के बारे में बताया है. उन्होंने बताया कि कई बार मंजू की कई सेकेंड के लिए आंखों की रोशनी चली जाती थी. मंजू डॉक्टर के पास गईं लेकिन उनकी आंखों में सब ठीक था. डॉक्टर के मुताबिक मंजू ब्यूटीशियन की जॉब कर रही थीं, लेकिन हाल ही में उन्होंने इसे छोड़ दिया. इसके बाद उनका स्मार्टफोन पर टाइम बिताना काफी बढ़ गया.



क्या है विजन सिंड्रोम?


डॉक्टर ने बताया कि जांच में पता चला कि मंजू स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम से मुतासिर थीं. ऐसा इसलिए हुआ कि उन्होंने स्मार्टफोन या कंप्यूटर लंबे समय तक चलाया. डिजिटल विजन सिंड्रोम को कंप्यूटर सिंड्रोम भी कहते हैं. आंखों पर जोर पड़ने की वजह से ये सिंड्रोम हो जाता है. 


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स्क्रीन से दूरी इलाज


डॉक्टर सुधीर के मुताबिक डिजिटल सिंड्रोम की कोई दवा नहीं है. इसका महज इलाज ये है कि कंप्यूटर और मोबाइल से दूरी बना ली जाए. इसलिए मंजू को डॉक्टर ने डिजिटल उपकरणों से दूर रहने की सलाह दी है. मंजू ने डिजिटल चीजों का इस्तेमाल कम किया. इसके बाद उनकी आंखों की रौशनी ठीक होने लगी. 


20-20-20 का फार्मूला अपनाएं.


डॉक्टर सुधीर के मुताबिक किसी भी डिडिटल उपकरण को लगातार देखते रहने से आंखों की रोशनी जा सकती है. इसलिए जरूरी है कि स्क्रीन पर काम करते हुए (20-20-20) का नियम अपनाएं. इसका मतलब है कि 20 मिनट के बाद 20 फीट की दूरी पर 20 सेकंड तक देखें.


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