जिस देश को हम आपीती रूप से एग्रीकल्चर की भूमि कहते हैं, जहां गेहूं, चावल, और आटे का इस्तेमाल हर घर के रोजमर्रा की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा है. जहां अनाज को देवता समान माना जाता है.जो हमारे भोजन का मुख्य तत्व है और हमारे जीवन को सजीव रखने का स्रोत होता है.  इसे में आप फ़र्ज़ कीजिए की यही गेहूं आपके लिए हानिकारक होजये और आपके लिए जान लेवा बन जाये तो आप क्या करेंगे? चौंकिए नहीं, ऐसा सच में होता है. दरअसल, रोज़ में खाए जाने वाले गेहूं और अन्य अनाजों में ग्लूटेन नाम का एक प्रोटीन मुख्य रूप से पाया जाता है, जो किसी के लिए पौष्टिक होता है, लेकिन कुछ व्यक्तियों के लिए बेहद हानिकारक साबित होता सकता है. हमारी आज की इस खबर में हम आपको बताएंगे ग्लूटेन इनटॉलेरेंस से जुड़े हर वो तत्त्व जो आपको इस बीमारी को गहराई से समझने में आपकी मदद करेगा. साथ ही साथ यह भी समझने मैं मदद करेगा कि आज के एस दौर में जहां हर लजीज खाना मैदा और आटे से बनता है तो आप ग्लूटेन खाने से कैसे बचें? 


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सबसे पहेले समझें की आखिर ग्लूटेन क्या है?
ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और अन्य अनाजों में पाया जाता है. यह पास्ता, अनाज और बीयर सहित कई आम खाने-पिने के प्रोडक्ट्स में मौजूद होता है. इतना ही नहीं आपको ग्लूटेन विटामिन, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और यहां तक कि कुछ दवाओं जैसी चीज़ों में भी मिल सकता है. 


अब जानिए क्या है ग्लूटेन इनटॉलेरेंस?
यदि ग्लूटेन वाले खाने पीने के प्रोडक्ट्स खाने के बाद बीमार हो जाते हैं तो आपको ग्लूटेन इनटॉलेरेंस हो सकती है. इसे में आपको अपने शाहिर में थकावट, नौज़िया या ब्लोटिंग या फूला महसूस हो सकती है. आपको बता दें कि ग्लूटेन इनटॉलेरेंस का दूसरा नाम नॉन-सीलिएक ग्लूटेन सेंसिटिविटी (एनसीजीएस) भी है. मगर क्या ग्लूटेन सेंसिटिविटी और सीलिएक डिज़ीज़ एक ही है? तो इसका जवाब है न. आपको बता दें कि ग्लूटेन सेंसिटिविटी को मेडिकल रूप से सीलिएक डिज़ीज़की तुलना में कम गंभीर माना गया है, क्योंकि ब्लड टेस्ट के आधार पर आमतौर पर ग्लूटेन सेंसिटिविटी वाले लोग सीलिएक डिज़ीज़ के लिए पॉजिटिव नही आते हैं. इतना ही नही सीलिएक डिजीज के मुकाबले में ग्लूटेन सेंसिटिविटी वाले लोगों की छोटी आंतों को कोई नुकसान नहीं होता है जो सीलिएक डिजीज वाले व्यक्तियों में पाया जाता है. 
आपको बता दें कि सीलिएक डिज़ीज़ एक ऑटो-इम्यून डिजीज है. इसमे व्यक्ति का शारीर ग्लूटेन से लड़ने की वैसे ही कोशिश करता है, जैसे कि वह कोई वायरस हो. इस लड़ने की प्रतिक्रिया से व्यक्ति को पाचन तंत्र मैं सुजन के साथ साथ काफीअन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. सीलिएक डिजीज एक असामान्य जीन का परिणाम है. सीलिएक डिजीज से पीड़ित लोगों के रक्त में ग्लूटेन से लड़ने वाले कुछ एंटीबॉडी का स्तर भी उच्च होता है.


क्या ग्लूटेन इनटॉलेरेंस  एक ग्लूटेन एलर्जी है?
आपको बता दें कि इनटॉलेरेंस और फ़ूड एलर्जी एक समान नहीं हैं. एलर्जी की प्रतिक्रिया तब होती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम किसी विदेशी पदार्थ पर हमला करती है. गेहूं सहित एलर्जी, पॉजिटिव IgE परीक्षण से जुड़ी हुई है. जिन लोगों में ग्लूटेन से संबंधित लक्षण होते हैं, लेकिन गेहूं की एलर्जी का टेस्ट नेगेटिव होता है और सीलिएक डिज़ीज़ के लिए भी टेस्ट नेगेटिव होता है, उन्हें ग्लूटेन इनटॉलेरेंस हो सकती है.


ग्लूटेन इनटॉलेरेंस का क्या कारण है?
ग्लूटेन इनटॉलेरेंस के सटीक कारणों को अच्छी तरह से अभी तक समझा नहीं  जा सका है. कुछ रिसर्च बोलते हैं कि लोग ग्लूटेन के प्रति इनटॉलेरेंट नहीं बल्की कई खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले एक निश्चित कार्बोहाइड्रेट के प्रति इनटॉलेरेंट होते हैं.उनका शरीर कार्बोहाइड्रेट को उस तरह अवशोषित नहीं कर पाता जैसा उन्हें करना चाहिए. यह उनकी आंतों में रह जाता है और समस्याएं पैदा करता है.
वहीं अन्य रिसर्च बोलती हैं  कि गेहूं कुछ लोगों के पाचन तंत्र की परत को प्रभावित कर सकता है. यह परत आमतौर पर बैक्टीरिया को आपकी आंतों से बाहर निकलने से रोकती है. लेकिन ग्लूटेन इनटॉलेरेंस वाले लोगों में वो परत उस तरह से काम नहीं कर सकता है जैसा उसे करना चाहिए, जिससे बैक्टीरिया उनके रक्त या यकृत में प्रवेश कर सकते हैं और सूजन पैदा कर सकते हैं.

ग्लूटेन इनटॉलेरेंस के लक्षण क्या हैं?
ग्लूटेन का सेवन करने के बाद लोगों को कई घंटों या दिनों तक पेट में दर्द, एनीमिया, एंग्जायटी,सूजन या गैस, ब्रेन फोग, थकान,सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, डिप्रेशन के साथ साथ ग्लूटेन इनटॉलेरेंस वाले कई लोगों को  irritable bowel syndrome (IBS) भी होता है.


ग्लूटेन इनटॉलेरेंस का इलाज कैसे किया जाता है?
ग्लूटेन इनटॉलेरेंस का कोई इलाज नहीं है.लेकिन अधिकांश लोग ग्लूटेन-मुक्त आहार का पालन करके लक्षणों से राहत पाते हैं.आपको अपने आहार की योजना बनाने के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और आहार विशेषज्ञ के साथ काम करना चाहिए. आप अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से अपने आहार में प्रोबायोटिक्स शामिल करने के बारे में भी पूछ सकते हैं.प्रोबायोटिक्स आपके आंत में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करते हैं. वे सूजन, गैस या कब्ज के लक्षणों को कम कर सकते हैं.
कुछ रिसर्च बताते हैं कि कुछ एंजाइम लेने से आपको ग्लूटेन को पचाने में मदद मिल सकती है, लेकिन विशेषज्ञ अभी भी इस इलाज की जांच कर रहे हैं. लेकिन आपको यह भी बता दें कि ग्लूटेन मुक्त डाइट लगातार लेने से आपको टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा भी हो सकता है.