Israel Hamas War: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने इसराइली सैनिकों द्वारा उत्तरी गाजा पट्टी में कमाल अदवान हॉस्पिटल को जलाने की कड़ी निंदा की. अस्पताल में आग लगने की वजह से मरीजों और मेडिकल स्टाफ को वहां से बाहर निकलना पड़ा. शुक्रवार यूएई के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में इसराइली सेना के मानवता को शर्मसार करने वाली कृत्य पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. UAE ने इसे इंटरनेशनल मानवीय कानून का घृणित उल्लंघन और गाजा की पहले से ही कमजोर हेल्थ केयर सिस्टम पर व्यवस्थित हमले का हिस्सा बताया.


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मंत्रालय ने हिंसा को फौरन रोकने का आह्वान किया. इसके साथ-साथ नागरिकों और नागरिक संस्थानों की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया. बयान में कहा गया है कि मौजूदा हालत भयावह है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.


UAE ने किया ये आग्रह
यूएई ने इंटरनेशनल कम्युनिटी से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में और गिरावट को रोकने की कोशिशों को तेज करने के साथ-साथ व्यापक और न्यायपूर्ण शांति प्राप्त करने के मकसद से सभी पहलों का सपोर्ट करने का भी आग्रह किया. गाजा स्थित हेल्थ अफसरों ने शुक्रवार को बताया कि कमाल अदवान हॉस्पिटल एक दमघोंटू घेराबंदी से जूझ रहा है, क्योंकि इसके संचालन और सर्जिकल डिपार्टमेंट, लेबोरेटरी, मेंटेनेंस यूनिट, एम्बुलेंस यूनिट और गोदाम पूरी तरह से जलकर खाक हो गए हैं.


अदवान हॉस्पिटल में थे 350 लोग
इसराइली हमले से पहले उत्तरी गाजा में सबसे बड़ी मेडिकल फैसिलिटी, कमाल अदवान हॉस्पिटल में करीब 350 लोग रह रहे थे, जिनमें 75 जख्मी मरीज और उनके अटेंडेंट शामिल थे. इसराइली सेना ने उत्तरी गाजा में अपने सैन्य अभियानों के हिस्से के रूप में दो महीने से ज्यादा वक्त तक अस्पताल की नाकाबंदी की हुई है, यह दावा करते हुए कि हॉस्पिटल आतंकवादियों का गढ़ और ठिकाना है.


जॉर्डन ने क्या कहा?
वहीं, जॉर्डन ने भी इसराइली सेना के इस छापे को एक जघन्य युद्ध अपराध बताया है.  विदेश मंत्रालय ने कहा कि गाज में इसराइल के क्राइम और इंटरनेशनल कानून और मानवीय कानून का घोर उल्लंघन को दर्शाता है. इसने मरीजों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए इसराइल को जिम्मेदार ठहराया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह गाजा में नागरिकों पर हमले रोकने और इसराइल की आक्रामकता की वजह से हुई बर्बादी को खत्म  करने के लिए इसराइल पर दबाव डाले.


सऊदी फॉरेन मिनिस्टर ने भी अस्पताल में इसराइल की कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की. उन्होंने इसे इंटरनेशनल कानून, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और बुनियादी मानवीय और नैतिक मानकों का उल्लंघन बताया.