Hamas Israel war: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के चुनाव जीतने के बाद कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं. दुनिया में अभी दो युद्ध इस वक्त चरम पर है. पहला यूक्रेन और रूस और दूसरा इजराइल और हमास के बीच युद्ध. यूक्रेन में युद्ध के मामले में, ट्रम्प कीव और मॉस्को को कम से कम मौजूदा मोर्चे पर युद्ध विराम के लिए मजबूर करने की कोशिश कर सकते हैं. इसमें संभवतः एक स्थायी समझौता शामिल हो सकता है जो रूस के क्षेत्रीय लाभ को स्वीकार कर सकता है.


इजराइल और हमास के बीच क्या ?


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वहीं बात करें मिडिल ईस्ट की तो ट्रंप पहले भी इजरायल और सऊदी अरब के कट्टर समर्थक रहे हैं. इस मामले में उनके और भी सख्त रुख अपनाने की संभावना है, जिसमें ईरान के मामले में और भी सख्त रुख अपनाना भी शामिल है. यह इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदा प्राथमिकताओं के साथ मेल खाता है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि 7 अक्टूबर को जंग की शुरुआत से अमेरिका इजराइल की मदद करता आया है.


ईरान की प्रॉक्सी ने किया है नाक में दम


ईरान की प्रॉक्सी हिजबुल्लाह और हूतियों ने इजराइल की नाक में दम किया हुआ है. ऊधर गाजा में भी हमास पर नेतन्याहू पूरी तरह से पार नहीं पा पाए हैं और हर हाल में इन प्रॉक्सीज़ को खत्म करना चाहते हैं. ऐसे में ट्रंप की उनके जैसी सोच इस जंग को और गंभीर रूप भी दे सकती है.


इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद ईरान की मुद्रा तेजी से गिर गई. तेहरान के व्यापारियों ने बताया कि रियाल का कारोबार डॉलर के मुकाबले 703,000 पर हो गया है.  ईरान का केंद्रीय बैंक दर में सुधार की कोशिशों के रूप में बाजार में अधिक हार्ड करेंसी की बाढ़ ला सकता है, जैसा कि उसने अतीत में किया है.


नेतन्याहू को करेगा प्रोत्साहित


ट्रम्प का चुनाव नेतन्याहू को कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, और यह बदले में पुतिन के प्रति ट्रम्प की स्थिति को भी मजबूत करेगा, जो यूक्रेन में अपने युद्ध के लिए ईरानी समर्थन पर निर्भर हो गए हैं. ट्रम्प यूक्रेन पर एक सौदा हासिल करने के लिए पुतिन के साथ सौदेबाजी की चिप के रूप में भविष्य में नेतन्याहू को रोकने की पेशकश कर सकते हैं.