Assam News: आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने शनिवार को दावा किया कि असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को रद्द करना असम में समान नागरिक संहिता (UCC) लाने की दिशा में पहला कदम है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम रद्द करना राज्य में भाजपा सरकार की ताबूत में आखिरी कील साबित होगा. असम मंत्रिमंडल ने इस कानून को निरस्त करने की शुक्रवार रात मंजूरी दे दी.


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मुसलमानों का हो रहा ध्रुवीकरण
बदरुद्दीन अजमल ने कहा, "वे मुसलमानों को भड़काने और मतदाताओं को अपने पक्ष में ध्रुवीकृत करने की कोशिश कर रहे हैं." धुबरी से सांसद अजमल ने कहा कि अधिनियम को निरस्त करना राज्य में UCC शुरू करने की दिशा में भाजपा सरकार का पहला कदम है, लेकिन इससे असम में भाजपा सरकार का पतन हो जाएगा. उन्होंने कहा, "हम निश्चित रूप से अधिनियम को रद्द करने की मुखालफत करेंगे, लेकिन चुनाव के बाद. हम अभी चुप रहेंगे." 


दो रुपये न लें
कानून निरस्त होने के बाद मुस्लिम विवाह कराने वाले काजी को उनके पुनर्वास के लिए दिए जाने वाले दो लाख रुपये के एकमुश्त मुआवजे का उल्लेख करते हुए अजमल ने कहा कि काजी भिखारी नहीं हैं. उन्होंने कहा, "मीडिया के जरिए से मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे सरकार से एक भी पैसा न लें." 


NDA को चुनौती देगा INDIA
लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के बारे में AIUDF प्रमुख अजमल ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए कड़ी चुनौती पेश करेगा. उन्होंने कहा, "चुनाव में तीन सीटें जीतने के बाद हमारी पार्टी गठबंधन का सपोर्ट करेगी." 


मुख्यमंत्री ने किया ट्वीट
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि बाल विवाह को समाप्त करने के लिए स्वतंत्रता-पूर्व के इस अधिनियम को निरस्त कर दिया गया है. शर्मा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की तब भी इजाजत देने के प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 साल की कानूनी उम्र के ना हुए हों, जो कि कानून द्वारा आवश्यक है."