Asaduddin on Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड में यूसीसी बिल असेंबली में पेश किया गया है. कुछ लोग इसकी हिमायत में हैं, वहीं कुछ लोग इसका विरोध करते नजर आ रहे हैं. कई मु्स्लिम तंजीमें और  नेता इसके विरोध में हैं. अब उत्तराखंड में पेश किए गए यूसीसी बिल पर असदुद्दीन ओवैसी की बयान आया है.  उन्होंने आरोप लगाया है कि इस बिल के सहारे हिंदू कोड लागू करने की कोशिश की जा रही है.


क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी?


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ओवैसी ने ट्वीट किया,"सभी के लिए लागू एक हिंदू कोड के अलावा और कुछ नहीं है. सबसे पहले, हिंदू अविभाजित परिवार को छुआ नहीं गया है. क्यों? अगर आप उत्तराधिकार और विरासत के लिए एक समान कानून चाहते हैं, तो हिंदुओं को इससे बाहर क्यों रखा गया है? क्या कोई कानून एक समान हो सकता है, अगर वह आपके राज्य के ज्यादातर हिस्सों पर लागू नहीं होता है?


उन्होंने आगे लिखा,"द्विविवाह, हलाला, लिव-इन रिलेशनशिप चर्चा का विषय बन गए हैं. लेकिन, कोई यह नहीं पूछ रहा कि हिंदू अविभाजित परिवार को क्यों बाहर रखा गया है. कोई नहीं पूछ रहा कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी. सीएम के मुताबिक बाढ़ से उनके राज्य को 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है. 17000 हेक्टेयर फसल की जमीन जलमग्न हो गई और फसल के नुकसान का अनुमान 2 करोड़ से ज्यादा था. उत्तराखंड की वित्तीय स्थिति ख़राब है, इसलिए धामी को इसे सामने रखने की ज़रूरत महसूस होती है."


मुझे क्यों करना पड़ रहा है दूसरी संस्कृति का पालन


ओवैसी लिखते हैं,"दूसरे संवैधानिक और कानूनी मुद्दे भी हैं. आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया है? अगर एक समुदाय को छूट दे दी जाए तो क्या यह एक समान हो सकता है? अगला सवाल मौलिक अधिकारों का है. मुझे अपने धर्म और संस्कृति का पालन करने का अधिकार है, यह विधेयक मुझे एक अलग धर्म और संस्कृति का पालन करने के लिए मजबूर करता है. हमारे धर्म में, विरासत और विवाह धार्मिक प्रथा का हिस्सा हैं, हमें एक अलग प्रणाली का पालन करने के लिए मजबूर करना अनुच्छेद 25 और 29 का उल्लंघन है."


असदु्द्दीन ओवैसी ने आगे कहा,"यूसीसी संवैधानिक मुद्दा है. मोदी सरकार ने SC में कहा कि UCC केवल संसद के जरिए अधिनियमित किया जा सकता है. यह विधेयक शरिया अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम, एसएमए, आईएसए आदि जैसे केंद्रीय कानूनों का खंडन करता है. राष्ट्रपति की सहमति के बिना यह कानून कैसे काम करेगा?


आपको बता दें बीते रोज पुष्कर सिंह धामी सरकार ने बीती रोज उत्तराखंड असेंबली में यूसीसी बिल पेश किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बिल में तलाक, इद्दत, जायदाद और बहुविवाह से जुड़े प्रावधान हैं.