Modi government on Triple Talaq: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक कानून का बचाव किया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह प्रथा विवाह की समाजिक इदारा के लिए घातक है. तीन तलाक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए 2017 में इस प्रथा को खारिज कर दिया था. इसके बावजूद भी लोगों के बीच तीन तलाक की संख्या को कम करने के लिए कोई काम नहीं किया है. जिससे तीन तलाक के मामले कम हुए हैं.


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सरकार ने दी ये दलील
सरकार ने आगे कहा, ‘‘पार्लियामेंट ने  तीन तलाक से पीड़ित विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए उक्त कानून पारित किया. यह कानून विवाहित मुस्लिम महिलाओं के लिए लैंगिक न्याय और लैंगिक समानता के व्यापक संवैधानिक लक्ष्यों को सुनिश्चित करने में मदद करता है तथा गैर-भेदभाव और सशक्तीकरण के उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में मदद करता है.’’ 


तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का क्या था रुख
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को एक बार में कहकर दिए जाने वाले तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दा) को असंवैधानिक घोषित कर दिया था. कोर्ट ने 23 अगस्त 2019 को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 की वैधता का परीक्षण करने के लिए सहमत हो गया. कानून का उल्लंघन करने पर तीन साल तक की कैद हो सकती है.


दो मुस्लिम संगठनों ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने की थी मांग
दो मुस्लिम संगठनों जमीयत उलमा-ए-हिंद और समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने कोर्ट से कानून को ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित करने की गुजारिश की है. जमीयत ने अपनी याचिका में दावा किया कि ‘‘एक विशेष मजहब में तलाक के तरीके को अपराध घोषित करना, जबकि दूसरे धर्मों में शादी और तलाक के विषय को सिर्फ नागरिक कानून के दायरे में रखना, भेदभाव को जन्म देता है, जो अनुच्छेद 15 की भावना के अनुरूप नहीं है.’’