Delhi riots case of 2020 and Umar Khalid Bail Plea: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने सोमवार को 2020 के दिल्ली दंगों (Delhi riots) की साजिश मामले में छात्र नेता और JNU छात्र संघ के पूर्व सदर उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है. विशेष न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने वकीलों की विस्तृत सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया. कोर्ट 28 मई को फैसला सुनाएगी.  वह सितंबर 2020 से इस मामले में यूएपीए के तहत हिरासत में हैं.  फरवरी में सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस लेने के बाद, खालिद ने परिस्थितियों में बदलाव और इसी केस में दूसरे व्यक्तियों को मिली जमानत के बाद समानता के आधार पर जमानत की मांग करते हुए ट्रायल कोर्ट का रुख किया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 उनके साथ हिरासत में लिए गए कई लोगों को ज़मानत मिल चुकी है. इसमें कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार भी शामिल हैं. 


इससे पहले दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने याचिका का विरोध किया था. वहीँ, उमर खालिद के वकील ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ कोई आतंकी मामला नहीं बनता है, और उनका नाम दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में दोहराया गया है. उसका नाम दोहराने से झूठ, सच नहीं हो जाता. उनके ख़िलाफ़ भयानक मीडिया ट्रायल किया गया है. जबकि, दिल्ली पुलिस का इलज़ाम है कि उमर खालिद ने 2020 में 23 जगहों पर पूर्व नियोजित विरोध-प्रदर्शन किया था, जिसके नतीजे में दिल्ली में दंगे हुए. 


वरिष्ठ वकील त्रिदीप पेस ने दिल्ली पुलिस की दलीलों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या संदेश साझा करना एक आपराधिक या आतंकवादी कृत्य है?" उन्होंने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) द्वारा पहले की गई दलीलों का भी जवाब दिया, जिन्होंने कहा था कि खालिद सोशल मीडिया पर राजनीति के लोगों और अन्य लोगों के साथ कुछ लिंक साझा करके एक साजिश के तहत अपनी कहानी को बढ़ा रहा था. वरिष्ठ वकील ने यह भी कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ शातिर मीडिया ट्रायल हो रहा है.  उन्होंने विभिन्न मीडिया चैनलों के समाचार एंकरों के विभिन्न बयानों का भी ज़िक्र किया है. उन्होंने कहा कि एंकर चौबीस घंटे आरोप पत्र पढ़ रहे हैं.  उन्होंने आगे दलील दी  कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी मामला नहीं बनता है, और पुलिस के पास इसका कोई सबूत नहीं है. कोर्ट को देखना होगा कि उसके खिलाफ आतंकी मामला बनता है या नहीं ? 


उम्र के वकील ने कहा, अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान में काफी विरोधाभास हैं. इस हालत में, अदालत को यह तय करना होगा कि क्या गवाह के बयान से प्रथम दृष्टया उमर खालिद के खिलाफ आतंकवादी मामला बनता है या नहीं ?  इससे पहले यह दलील दी गई थी कि नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा जैसे आरोपी व्यक्तियों को उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी गई है जबकि उनकी भूमिका भी उमर खालिद जैसी ही थी. 


उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि उसकी चैट से पता चला है कि उसे जमानत की सुनवाई को प्रभावित करने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया पर नैरेटिव बनाने की आदत है. विशेष लोक अभियोजक द्वारा यह भी पेश किया गया कि कई लोगों ने जमानत सुनवाई को प्रभावित करने के लिए एक्स (पहले ट्विटर) का सहारा लिया. उन्होंने एक्स पर तीस्ता सीतलवाड, एमनेस्टी इंडिया, आकार पटेल, राज कौशिक, स्वाति चतुर्वेदी, आरजू अहमद और अन्य की पोस्ट का हवाला दिया था. 
एसपीपी अमित प्रसाद ने तीस्ता सीतलवाड, आकार पटेल, कौशिक राज, स्वाति चतुर्वेदी, आरजू अहमद और अन्य द्वारा एक्स पर पोस्ट का भी उल्लेख किया. 
एसपीपी ने कोर्ट में कुछ पोस्ट भी पढ़ी थीं. एक पोस्ट में लिखा था, "राम रहीम की पैरोल मंजूर, उमर खालिद की जमानत SC में 14 बार टल चुकी है."  #freeumarkhalid
एक्स पर एक अन्य पोस्ट में कहा गया, "उमर खालिद ने एससी से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली. यह न्याय का मजाक है."