Uttarkashi: DM-SP को मस्जिद की हिफाजत का आदेश; गिराने की मिल चुकी है धमकी
Uttarkashi Mosque Controversy: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक मस्जिद को अवैध बताकर उसे गिराने की धमकी देने और उपद्रव करने के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिकारियों से उत्तरकाशी में शांति बनाए रखने और मस्जिद की हिफाजत करने के आदेश दिया है.
नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल में एक मस्जिद को तोड़ने की धमकी के बाद इस मामले में हाईकोर्ट को दखल देना पड़ गया है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी जिला प्रशासन को मकामी मस्जिद पर तनाजा सामने आने के बाद शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया है. एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती की खंडपीठ ने 27 नवंबर को उत्तरकाशी के भटवारी रोड पर वाके मस्जिद की हिफाजत की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को ये निर्देश जारी किया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि मस्जिद की मुखालफत में एक दिसंबर को महापंचायत प्रस्तावित है, और इसकी इज़ाज़त न देने के लिए अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की जा रही है.
राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए उप महाधिवक्ता जेएस विर्क ने कहा कि प्रशासन ने महापंचायत के लिए इज़ाज़त नहीं दी है. उन्होंने दावा किया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिन-रात गश्त की जा रही है, और कस्बे में स्थिति सामान्य है. यहाँ दशकों पहले बनी एक मस्जिद को अवैध बताकर कुछ अतिवादी संघटन उसे तोड़ने की धमकी दे रहे हैं.
क्या मुस्लिम पक्ष की दलील
उत्तरकाशी के अल्पसंख्यक सेवा समिति नामक एक संगठन द्वारा दायर याचिका में इलज़ाम लगाया गया है कि 24 सितंबर से कुछ हिंदूवादी संगठन मस्जिद को गिराने की धमकी दे रहे हैं. वो दावा कर रहे हैं कि यह मस्जिद अवैध है. याचिका में कहा गया है कि इसके कारण कस्बे में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो रहा है और मस्जिद की सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है. याचिका में आगे दावा किया गया है कि मस्जिद 1969 में खरीदी गई जमीन पर बनाई गई थी. वक्फ आयुक्त ने 1986 में इसका निरीक्षण भी किया था और इसे वैध पाया था. वहीँ, हिंदूवादी संगठन का दावा है कि मस्जिद का निर्माण सरकारी जमीन पर अवैध रूप से किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को चुनौती, लेकिन राज्य सरकार खामोश
याचिकाकर्ता के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत को बताया कि मस्जिद को गिराने की मांग करने वाले संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं. उन्होंने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि अगर किसी जाति, धर्म या समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए जाते हैं, तो सीधे मामला दर्ज किया जाए. वकील ने कहा कि ऐसा न करना सुप्रीम कोर्ट के हुक्म की खिलाफवर्जी होगी, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया है. इस मामले में अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होनी है.
भीड़ ने पुलिस पर किया था हमला
गौरतलब है कि अक्टूबर में मस्जिद को गिराए जाने की मांग को लेकर आयोजित एक विरोध रैली के दौरान कथित तौर पर संयुक्त हिंदू संगठन नामक संगठन ने पथराव किया था, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा था. पुलिस द्वारा रैली का मार्ग बदलने की कोशिश करने पर भड़की झड़प में सात पुलिसकर्मियों सहित 27 लोग घायल हो गए थे. हालांकि, इस मामले में सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ कोई एक्शन लेने के बजाए भीड़ को रोकने वाले पुलिस अधिकारी का ही तबादला कर दिया था.