Halal Certificate: सुप्रीम कोर्ट से हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने दोनों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाई है. दोनो संस्थाओं पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में FIR दर्ज की गई है. इससे पहले 25 जनवरी को उच्च न्यायालय ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद और उनके प्रेसिडेंट मौलाना महमूद मदनी को राहत देते हुए उनके खिलाफ यूपी में चल रही आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. इसी के बुनियाद पर इन दोनों संस्थाओं ने कोर्ट से राहत की मांग की थी.


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बता दें कि इसके पहले हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था. इन याचिकाओं में पिछले साल 18 नवंबर को यूपी सरकार के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है. इस नोटिफिकेशन के तहत राज्य में हलाल सर्टिफिकेट वाले फूड प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग, स्टॉरेज, सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन पर रोक लगा दी गई थी. इसके इलावा इन याचिकाओं में हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली इंस्टीट्यूशन पर लखनऊ के हज़रतगंज थाने दर्ज FIR को खारिज करने की मांग भी की गई है.


पेटीशनर्स की यह है मांग


पेटीशनर्स का कहना था कि ये मसला सिर्फ उत्तर प्रदेश तक महदूद नहीं है. इसका असर मुल्कभर में पड़ेगा. अपनी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक फूड प्रोडेक्ट्स को चुनना और उनका खाने में इस्तेमाल करना लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता के हक से जुड़ा मसला है.


 प्रतिबंध के आदेश के चलते एक कम्युनिटी की धार्मिक स्वतंत्रता ( Religious Freedom ) का हक बाधित हो रहा है. जो संस्थाएं साल  2009 से हलाल सर्टिफिकेट जारी कर रही है, उन पर  अब आपराधिक कार्रवाई का ख़तरा मंडरा है. इसके चलते इंटरस्टेट कारोबार मुतासिर हुआ है. बिहार और कर्नाटक में हलाल प्रोडक्ट पर बैन की मांग जोर पकड़ने लगी है. इस मसले पर केन्द्र को भी अपना स्टैंड लेना चाहिए.