Home Ministry On CAA: केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट यानी CAA को पूरे मुल्क में 11 मार्च को लागू कर दिया है. इस कानून को लागू की किए जाने के बाद यहां के मु्स्लिम समुदाय में दर का माहौल बना हुआ है. मुस्लिम समुदाय इस कानून को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. जिसको लेकर आज यानी 12 मार्च को होम मिनिस्टरी  ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) पर भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस कानून में उनकी नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रोविजन नहीं है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


मंत्रालय ने एक संदेश में कहा कि नागरिकता कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है. उनके पास अपने बराबर हिंदू भारतीय नागरिकों के समान हक हैं. मंत्रालय ने सीएए के जुड़े में मुसलमानों और छात्रों के एक कैटेगरी की आशंका को दूर करने की कोशिश करते हुए यह साफ कर दिया. उन्होंने कहा, "इस कानून के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा."


 सेंट्रल गवर्नमेंट ने 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम ( हिन्दी, सिक्ख, जैन, बौद्ध ) प्रवासियों के लिए तेजी से नागरिकता देने के लिए नागरिकता (संशोधन) कानून को सोमवार, 11 मार्च को अधिसूचित किया था. होम मिनिस्टरी ने अपने बयान में कहा, "उन तीन मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की वजह से पूरी दुनिया में इस्लाम की छवि बुरी तरह खराब हुई है. हालांकि, इस्लाम एक शांतिपूर्ण धर्म होने के नाते, कभी भी धार्मिक आधार पर घृणा, हिंसा, उत्पीड़न को बढ़ावा नहीं देता है."


बयान में कहा गया कि यह कानून अत्याचार के नाम पर इस्लाम की इमेज खराब होने से बचाता है. कानून की जरूरत बताते हुए मिनिस्टरी ने कहा कि भारत का अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ प्रवासियों को इन देशों में वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं है. बयान में कहा गया, "यह नागरिकता कानून गैर-कानूनी प्रवासियों के निर्वासन से जुड़ा नहीं है. इसलिए मुसलमानों और स्टूडेंट्स समेत लोगों के एक वर्ग की चिंता अनुचित है कि CAA मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है." 


मिनिस्टरी ने आगे कहा कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6, जो नेचुरल बेस पर नागरिकता से जुड़ा हुआ है. इसके तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमानों के लिए भारतीय नागरिकता लेने पर कोई रोक नहीं है. बयान में कहा गया कि दूसरे धर्मों वाले भारतीय नागरिकों की तरह भारतीय मुस्लिमों के लिए आजादी के बाद से उनके अधिकारों की स्वतंत्रता और अवसर को कम किए बिना, सीएए ने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आने वाले लोगों के उत्पीड़न की पीड़ा को कम करने और उनके प्रति उदार व्यवहार दिखाने के मकसद से नागरिकता के लिए एप्लीकेश की योग्यता अवधि को 11 से कम कर पांच साल कर दिया है.