Waqf Amendment Bill: दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में जमीयत-उलेमाए-हिंद का संविधान संरक्षण सम्मेलन हो रहा है. इसकी अध्यता मौलाना अरशद मदनी कर रहे हैं. इस मौके पर रविवार को अरशद मदनी ने कहा कि "मुल्क में मौजूदा फिरकापरस्त जहनियत है. वक्फ बिल एक जरूरी मुद्दा है. हुकूमत जिन बैसाखियों पर चल रही है, उन बिहार के सीएम नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को दावत देता हूं कि मुसलमानों के जज्बात इससे कितना जुड़े हैं, ये वो अपने बंगलों में बैठ कर कभी नहीं समझ सकते."


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वक्फ संशोधन बिल
इस मौके पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि "वक्फ बोर्ड संसोधन एक खतरनाक साजिश है. अगर ये बिल पास हुआ तो हमारी मस्जिद, ईदगाह शिया समुदाय के इमाम बाड़े खतरे में पड़ जाएंगे. सरकार 800 साल पुरानी मस्जिदों के सबूत मांगेगी. अगर दिल्ली की जामा मस्जिद और हैदराबाद की मक्का मस्जिद क़े कागज मांगे जाएंगे तो अब 500 साल बाद कहां से आएंगे. अगर ये बिल पास हुआ, तो हमारी दीनी पहचान खतरे में पड़ जाएगी." उन्होंने आगे कहा कि "इसका विरोध जरूरी है. जब भी कोई संगठन बुलाए हमें आना है."


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नायडू और नीतीश
जमीयत उलेमाए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी के मुताबिक वक्फ अमेंडमेंट बिल में जहर पड़ा है. अगर ये बिल पास हो गया तो इसकी जिम्मेदारी तेलगू देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार पर जाएगी, क्योंकि ये लोग केंद्र सरकार को बनाने में शामिल हैं. मदनी के मुताबिक TDP ने अपना उपाध्यक्ष प्रोग्राम में भेजा है जो यहां की बात पार्टी में बताएंगे. इसके साथ उन्होंने दावा किया कि 24 नवंबर को पटना में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ एक जलसा होगा. इसमें जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार शामिल होंगे. 


दरकिनार करें बिल
इससे पहले 2 अक्टूबर को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा था कि मुसलमान इस बिल में संशोधन नहीं चाहते हैं. इसलिए इसे सरकार को दरकिनार कर देना चाहिए.


वक्फ पर मुसलमानों का एतराज
आपको बता दें कि 8 अगस्त को संसद में वक्फ संशोधन बिल लाया गया. लेकिन कई विपक्षी सांसदों ने इस बिल की मुखालफत की. ऐसे में इस बिल को संसदीय समिति को वापस भेज दिया गया. AIMPLB का कहना है कि इस बिल के जरिए सरकार वक्फ बोर्ड को कमजोर करना चाहती है. वक्फ संशोधन बिल में प्रावधान है कि बोर्ड में औरतों और गैर मुस्लिमों को शामिल किया जाएगा.