Muharram : श्रीनगर के लाल चौक पर 32 साल बाद निकला मुहर्रम का जुलूस; इस वजह से किया गया था बंद
Srinagar News: गुरुवार को श्रीनगर के लालचौक से 8वीं मुहर्रम का जुलूस अकीदत व एहतेराम के साथ निकाला गया. लाल चौक पर 32 साल बाद मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत दी गई. इस दौरान बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई.
Muharram in Srinagar: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में तीन दशक बाद मुहर्रम का जुलूस निकाला गया. श्रीनगर के तारीखी लाल चौक पर 32 साल बाद मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत दी गई. सुबह 6 बजे से 8 बजे तक ही मोहर्रम का जुलूस निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. जम्मू-कश्मीर सरकार के फैसले का लोगों ने स्वगात किया. बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तकरीबन 3 दशक बाद लालचौक मार्ग पर मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत दी.
32 साल बाद निकला जुलूस
काफी लंबे समय से शिया समुदाय की ओर से जुलूस निकालने की मांग की जा रही थी. लंबे समय के इंतजार के बाद आखिरकार इस साल 8वीं मुहर्रम का जुलूस निकालने की मांग को मंजूर करते हुए प्रशासन ने इस पर मुहर लगा दी. 8वीं मुहर्रम का जुलूस गुरुवार को सुबह 6 बजे से 8 बजे तक निकाला गया, जिसमें बड़ी तादाद में अकीदतमंदों ने शिरकत की. श्रीनगर में लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सराफ ने कहा कि 32 साल बाद जम्मू कश्मीर के शिया समुदाय के लोगों का सपना पूरा हुआ है. उन्होंने कहा कि, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में शिया समुदाय की बैठक के बाद श्रीनगर की सड़कों पर मोहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत दी गई.
शर्तों के साथ मिली इजाजत
जुलूस को निकालने के लिए एलजी प्रशासन ने कुछ शर्तें भी रखी थीं. इनमें कहा गया था कि जुलूस के दौरान किसी भी तरह की कोई राष्ट्रविरोधी नारेबाजी नहीं होनी चाहिए और न ही इस्लामी झंडे के अलावा कोई दूसरा झंडा दिखना चाहिए. शिया समाज के लोगों ने उपराज्यपाल प्रशासन के इस फैसले को मानने हुए अकीदत व एहतेराम के साथ मुहर्रम का जलूस निकाला. जुलूस में किसी तरह की कोई खिलाफवर्जी नजर नहीं आई. जुलूस के मद्देनजर प्रशासन की ओर से एक ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गई थी.
1990 में जुलूस पर लगी थी रोक
गौरतलब है कि 1990 में सरकार ने मुहर्रम के जलूस पर पाबंदी लगा दी थी. रोक के बाद लोग छोटे-छोटे समूह बनाकर जुलूस निकालने की कोशिश करते थे जिसकी वजह से पुलिस को सख्त रवैया अपनाना पड़ता था. सिर्फ इतना ही नहीं, इस मौके पर एहतियाज के तौर पर श्रीनगर के कई इलाकों में पाबंदियां भी लगानी पड़ती थी. लेकिन अब 32 साल बाद मुहर्रम का जुलूस शांति व अमन के साथ निकाला गया. इस मौके पर तमाम अकीदतमंदों ने हुकूमत का शुक्रिया अदा किया.
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