Maulana Tauqeer Raza on Nameplate Controversy: उत्तर प्रदेस में बरेली के इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के चीफ मौलाना तौकीर रजा ने कहा है कि कांवड़ यात्रा वाले रूट में नेमप्लेट लगाने का फैसला मुसलमानों को सताने के लिए किया गया. यह फैसला यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की मजबूरी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया, क्योंकि इससे देश को नुकसान था. रजा ने कहा, "मैं सिर्फ मुस्लिम धर्म की बात नहीं करता, बल्कि पूरे देश की बात करता हूं." 


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एक इंटरव्यू में नेमप्लेट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में तौकीर रजा ने कहा कि सबसे पहली बात यह है कि नाम लिखने के पीछे का मकसद क्या है? हम चीजों को निगेटिव भी देखते हैं और पॉजिटिव भी देखते हैं, सरकार के किस फैसले से समाज, देश का क्या नुकसान हो सकता है या किस फैसले से हमारा फायदा हो सकता है, ये चीजें देखना हमारी जिम्मेदारी है. मैंने यह महसूस किया कि यह जो फैसला आया, वह मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया गया था."


ईमान कमजोर है- तौकीर रजा
आगे उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को महसूस किया और इस फैसले को रद्द किया. मेरा मानना यह है कि मजहबी तौर पर मुसलमानों ने अपनी शिनाख्त नहीं छुपाई होती. मुसलमान एक मुसलमान जैसा नजर आना चाहिए. उन्हें अपनी आइडेंटिटी, शक्ल और तरीका छिपाने की जरूरत नहीं है, जो मुसलमान कारोबार की वजह से या डर की वजह से अपनी पहचान छिपा रहा है, मैं समझता हूं कि उसमें ईमान की कमजोरी है."


मुसलमानों को फ्रक से कहना चाहिए ये बात
तौकीर रजा ने आगे कहा कि मैं यह देखना चाहता हूं कि जिन मुसलमानों ने सीएम के फैसले के बाद अपनी दुकानों और उद्योगों पर नाम लिखना शुरू कर दिया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वो लोग अपनी दुकानों और उद्योगों पर अपना नाम लिखते हैं या नहीं, अगर लिखते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि वह लोग किसी डर या दबाव में नहीं छिपा रहे हैं. मुसलमानों को खुद को छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि फक्र के साथ कहना चाहिए कि वह मुसलमान हैं और हम हिंदुस्तानी हैं. तब काम चलेगा."