मोहर्रम पर जगाई देशभक्ति की अलख, चंद्रयान-3 रॉकेट के रूप में बनाई ताजिया
बिहार के सहरसा में नौजवानों ने चंद्रयान-3 की तरह ताजिया बनाई है. इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
एक तरफ जहां लोग धर्म और मजहब के नाम पर नफरत पैदा करने में लगे रहते हैं तो वहीं दूसरी ओर सहरसा में मुहर्रम के अवसर पर मुस्लिम भाई देश प्रेम और आपसी भाई चारे की अलख जगा रहे हैं. दरअसल हर साल की तरह इस साल भी बिहार के सहरसा में मौजूद डीबी रोड मछली मार्केट मोहर्रम मेला समिति ने ताजिया बनाया. वैसे तो हर साल अलग-अलग तरिके से भारत के प्रतीक चिन्ह के रूप में यहां ताजिया बनाई जाती है. लेकिन इस बार भारत में चंद्रयान थ्री रॉकेट के सफल परीक्षण के बाद यहां ताजिया के रूप में चंद्रयान थ्री रॉकेट बनाया गया.
खास बात यह है कि इस ताजिया पर तिरंगा लहरा रहा है. चंद्रयान थ्री रॉकेट पर भारत इंडिया लिखा गया है. मोहर्रम कमिटी के लोग ताजिया के रूप में बनाए गए चंद्रयान थ्री रॉकेट के साथ जुलुस निकाल कर देश प्रेम और आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं. वहीं मोहर्रम के मौके पर युवाओं ने अनेक तरह के खेलों का भी प्रदर्शन किया.
आपको बताते चलें की मछली मार्केट डीबी रोड सहरसा मोहर्रम मेला समिति की तरफ से हर साल मोहर्रम के मौके पर ताजिया के रूप में हिंदुस्तान के धरोहरों का आकृति बनाकर शहर में आपसी समरसता भाईचारे का संदेश देते आए हैं. मोहर्रम मेला कमिटी के सदस्यों ने बताया कि मोहर्रम के मौके पर हिंदुस्तान की जो एक सभ्यता है हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई उसमें सौहार्द बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. सभी समाज को देखते हुए हम लोग मोहर्रम के मौके पर हिदुस्तान के धरोहरों का जो प्रतीक बनाकर एकता का पैगाम देने की कोशिश करते हैं. हमारा मकसद है कि आपसी भाई चारा यूं ही बना रहे और हम सभी हिंदुस्तानी एक रहें.
बता दें कि भारत में बड़े पैमाने पर मोहर्रम मनाया जाता है. कई लोग मन्नत मांगते हैं और ताजिया रखते हैं. मान्यता है कि ताजिया हजरत इमाम हुसैन का रौजा यानी मजार है. इसे मोहर्रम के दिन कर्बला में दफनाया जाता है. बताया जाता है कि सबसे पहले भारत में ताजिया ख्वाजा मुईनुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह ने रखी थी. तभी से भारत में इसका चलन शुरू हुआ. ताजिया बांस की लकड़ी और रंगीन कागज से बनाई जाती है. यह दिखने में मस्जिद की इमारत की शक्ल की होती है.
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