Muslim Personal Law Board Meeting on Muslim Women Divorce Alimony: दिल्ली में आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में करीब 51 लोग शामिल हुए. AIMPB के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि बोर्ड ने 3 प्रस्ताव पास किए हैं. जिसमें पहला मुस्लिम महिलाओं को CRPC की धारा 125 के द्वारा गुजारा भत्ता देने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अपनी बात रखी. AIMPLB ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताई है. बोर्ड का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून से अलग है. और मुसलमान शरिया कानून का पाबंद है. बोर्ड ने कहा कि मुसलमान ऐसा कोई काम नहीं करेगा जो शरिया कानून के विरोध में हो.  सैयद कासिम रसूल इलियास ने AIMPLB का हवाला देते हुए कहा कि "हमने ये महसूस किया है भारत में हिन्दुओं के लिए हिंदू कोड बिल है, मुसलमानों के लिए शरिया कानून है. और संविधान हमें अपने धर्म के हिसाब से जिंदगी गुजारने की इजाजत देता है" . 


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मुस्लिम महिला के गुजारा भत्ता को लेकर AIMPLB ने एक अहम फैसला लिया है. AIMPLB ने अपने फैसले में कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे. दिल्ली में हुई बैठक में इस बात पर फैसला लिया गया. बोर्ड ने अपने फैसले में कहा है कि शरीयत में महिला को इद्दत पूरी होने तक ही गुज़ारा भत्ता देने का हुक्म है. इसके बाद वह अपनी जिंदगी जीने के लिए पूरी तरह से आजाद है. वह इद्दत पूरी होने के बाद दूसरी शादी करने के लिए भी पूरी तरह से आजाद हैं.


AIMPLB ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारतीय मुसलमान शरीयत के मुताबिक अपनी बेटियों को जायदाद में हिस्सेदारी दें, इसके अलावा अगर तलाक शुदा महिला को जिंदगी गुजारने में किसी तरह की कोई दिक्कत-परेशानी आती है तो बोर्ड उसकी जिम्मेदारी उठाएगा. 


आपको बता दें कि पिछले बुधवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि मुस्लिम महिला भी आपराधिक प्रक्रिया संहिता CRPC की धारा-125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि CRPC का यह "धर्मनिरपेक्ष और धर्म तटस्थ" प्रावधान सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, फिर चाहे वे किसी भी धर्म से ताल्लुक रखती हों, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने साफ तौर पर कहा कि मुस्लिम महिला तलाक पर अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 1986 को धर्मनिरपेक्ष कानून पर तरजीह नहीं मिलेगी. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, "हम इस प्रमुख फैसले के साथ आपराधिक अपील को खारिज कर रहे हैं कि धारा-125 सभी महिलाओं के संबंध में लागू होगी."


पीठ ने आगे कहा, "यदि मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम कानून के तहत शादी करती है और फिर तलाकशुदा होती है, तो CRPC की धारा 125 के साथ-साथ मुस्लिम महिला तलाक पर अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधान लागू होते हैं. मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के पास एक विकल्प है कि वे दोनों में से किसी एक कानून या दोनों कानूनों के तहत राहत मांगें. ऐसा इसलिए है कि 1986 का अधिनियम CRPC की धारा 125 का उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि उक्त प्रावधान के अतिरिक्त है". 


उत्तराखंड में लागू हुए  UCC को करेंगे चैलेंज; AIMPLB
 AIMPLB की बैठक में उत्तराखंड में लागू हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी विस्तार से चर्चा हुई. बैठक में बोर्ड के कई मेंबरों ने कहा कि यूसीसी देश की विविधता को खत्म करता है. उन्होंने कहा है कि AIMPLB उत्तराखंड में लागू हुए  UCC को लेकर बहुत जल्दी चैलेंज करेंगे. 


AIMPLB ने वक्फ की संपत्ति को लेकर प्रस्ताव किया पारित
बोर्ड ने इसके अलावा वक्फ की संपत्ति को लेकर भी बैठक में प्रस्ताव पारित किया. AIMPLB ने कहा कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर अगर वक्फ एक्ट ( Waqf Act ) को समाप्त करने की कोशिश होती है तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे.


आम चुनाव 2024 के नतीजे ने साफ कर दिया लोगों को नफरत के एजेंडे पसंद नहीं; AIMPLB
वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर भी अपनी बात रखी. बोर्ड ने कहा आम चुनाव के नतीजे से ये तो साफ हो गया है कि लोगों ने नफरत के एजेंडे के खिलाफ वोट किया है, इसलिए बारतीय जनता पार्टी बहुमत का आंकड़ा छूने से पीछे रह गई.


मॉब लिंचिंग पर करे कार्रवाई
बोर्ड ने कहा कि मुल्क में अभी भी मॉब लिंचिंग हो रही है. पिछले कुछ दिनों में करीब दर्जन भर मॉब लिंचिंग के मामले आ चुके हैं, इससे देश की छवि खराब हो रही है. सरकार को इसतरह के कृत्य कर रहे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर उदाहरण सेट करना चाहिए. ताकि इस तरह की अमानवीय घटना करने की कोई हिम्मत नहीं करें.


इनपुट:- मोहम्मद अमजद शोएब