Owaisi on Kashmir: AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं. वह करेंट मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं. वह मुसलमानों के मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं. हाल ही में उन्होंन जम्मू व कश्मीर में नौजवानों की हालत पर अपनी बात रखी है. एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए/अफ्स्पा) हिरासत में हिंसा और यातना को बढ़ावा दे रहा है. हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी सेना तरफ से तीन नागरिकों को कथित तौर से टॉर्चर किए जाने की खबरों पर रिएक्शन दे रहे थे. ये तीनों लोग 22 दिसंबर को पुंछ जिले में आतंकवादियों के हमले वाली जगह के पास मृत पाए गए थे.


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मुआवजा पर्याप्त नहीं
21 दिसंबर को उग्रवादियों के हमले में पांच जवान शहीद हो गये थे और दो घायल हो गये थे. असदुद्दीन ओवैसी ने तीन लोगों के कत्ल को भयावह बताया. असदुद्दीन ओवैसी ने अपने एक्स अकाउंट से पोस्ट किया कि सरकार की तरफ से दिया गया मुआवजा पर्याप्त नहीं है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तीनों नागरिकों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने का ऐलान किया है.उन्होंने कहा, ''कश्मीर में अफ्स्पा इस तरह की हिरासत में हिंसा और यातना को बढ़ावा देता है. दोषियों की जांच की जानी चाहिए और नागरिक कानूनों के तहत उन्हें दंडित किया जाना चाहिए.''


इसलिए हुआ हमला
इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कश्मीर के हालात पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि 1991 के बाद से हमारी सेनाओं पर इस तरह से हमला नहीं हुआ है.' नागरिकों की हिरासत में यातना भी चिंता का एक बड़ा कारण है. ओवैसी ने पूछा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दावों का क्या हुआ कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और नोटबंदी के बाद सब कुछ ठीक हो गया है और अब कोई आतंकवाद नहीं है? उन्‍होंने कहा, "बदकिस्‍मती से उचित राष्ट्रीय सुरक्षा की जगह डायलॉगबाजी ने ले ली है."