Namaz At Guahati Airport: असम की गुवाहाटी हाई कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एयरपोर्ट में नमाज पढ़ने के लिए अलग से कमरे की मांग की गई थी. हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर नमाज पढ़नी है, तो उसके लिए मस्जिद है. हाई कोर्ट ने अर्जीगुजार से सवाल पूछा कि "इस याचिका में जनहित जैसा क्‍या है? अगर अर्जी को स्‍वीकार कर लिया गया तो इससे जनहित का कौन सा काम हो जाएगा? अगर एयरपोर्ट पर नमाज के लिए अलग से कमरा नहीं बनाया गया तो समाज का कौन सा नुकसान होगा."


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इन एयरपोर्ट का दिया गया हवाला


अर्जी में हवाला दिया गया कि अगरतला और तिरुवनंतपुरम जैसे बड़े एयरपोर्ट पर नमाज पढ़ने के लिए अलग से जगहें हैं. इसी हिसाब से गुवाहाटी एयरपोर्ट पर भी नमाज के लिए अलग से कमरा मोहय्या कराया जाना चाहिए. इस पर आदालत ने रिप्लाई किया कि "अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्या ये मूल अधिकारों का हनन होगा?" कोर्ट के मुताबिक अगर ऐसी मांग एयरपोर्ट पर होगी दूसरे पब्लिक प्लेस पर भी इस तरह की मांग होने लगेगी. आपके पास नमाज के लिए दूसरी जगहें हैं, आप वहां जाकर नमाजें अदा करें.


धर्मनिरपेक्ष है देश


हाईकोर्ट ने तर्क दिया कि हम ही कम्युनिटी के बीच नहीं हैं. देश धर्मनिरपेक्ष है. किसी एक कम्युनिटी की आर्जी पर ऐसा कैसे किया जा सकता है. अर्जीगुजार ने तर्क दिया कि फ्लाइट्स की टाइम ऐसी है, जिसकी वजह से मजहबी जगहों पर जाकर नमाज अदा नहीं की जा सकती. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि आप ऐसी फ्लाइट लें जो आपकी सहूलत के हिसाब से हो. यह आपका फैसला है. नमाज अदा करके ही आप फ्लाइट लें. हम आपकी बात से सहमत नहीं हैं.


दूसरी जगह भी नहीं मिली


अर्जीगुजार ने कहा कि अगर एयरपोर्ट में कमरा नहीं दे सकते तो वहां एक जगह ऐसी दे दें जहां पर नमाज अदा की जा सकती है. जिस तरह से स्मोकिंग के लिए एक खास जगह होती है. लेकिन इसे भी अदालत ने नहीं माना.