Remittances In 2024: पीछे छूट गए चीन और पाकिस्तान, इस रेस में नंबर 1 पर अपना हिन्दुस्तान
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Remittances In 2024: पीछे छूट गए चीन और पाकिस्तान, इस रेस में नंबर 1 पर अपना हिन्दुस्तान

विदेशों में रहने वाली भारतीयों ने देश के नाम नया रिकॉर्ड बना दिया है.

 Remittances In 2024: पीछे छूट गए  चीन और पाकिस्तान, इस रेस में नंबर 1 पर अपना हिन्दुस्तान

Remittances In 2024: विदेशों में रहने वाली भारतीयों ने देश के नाम नया रिकॉर्ड बना दिया है. विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने देश में पैसा भेजने का रिकॉर्ड बनाकर भारत को नंबर 1 पर पहुंचा दिया.  विदेश से अपने देश पैसे भेजने (रेमिटेंस) के मामले में लगातार तीसरे साल भारतीय नंबर 1 रहे हैं.  आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने साल 2024 में  129 बिलियन डॉलर यानी करीब  ₹10.7 लाख करोड़ रुपये भारत भेजे. इसके साथ ही भारत रेमिटेंस पाने वालों में पहले नंबर पर पहुंच गया.  

इस मामले में नंबर 1 रहा भारत  
 
विश्व बैंक की एक ब्‍लॉग पोस्‍ट के मुताबिक साल 2024 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने 129 बिलियन डॉलर स्वेदश भेजे. वहीं रेमिटेंस हासिल करने वाले के मामले में दूसरे नंबर पर मैक्सिको उसके बाद चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान रहे. 129 अरब डॉलर के अनुमानित इनफ्लो के साथ भारत रेमिटेंस प्राप्त करने वाले देशों की लिस्ट में टॉप पर है. 

इसके बाद 68 अरब डॉलर के साथ मैक्सिको, 48 अरब डॉलर के साथ चीन, 40 अरब डॉलर के साथ फिलीपींस और 33 अरब डॉलर के साथ पाकिस्तान का नाम आता है.  इस वर्ष रेमिटेंस की वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2023 में यह 1.2 प्रतिशत रही थी.  रिपोर्ट के अनुसार,  कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के उच्च आय वाले देशों में नौकरी बाजारों की रिकवरी, रेमिटेंस के लिए अहम रही है.  

यह विशेष रूप से अमेरिका के लिए सच है, जहां विदेशी मूल के श्रमिकों का रोजगार लगातार बढ़ रहा है और फरवरी 2020 में देखे गए महामारी-पूर्व स्तर से 11 प्रतिशत अधिक है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कम और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के आधिकारिक रूप से दर्ज किए गए रेमिटेंस इनफ्लो के साल 2024 में 685 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.  

ब्लॉग पोस्ट में कहा गया है कि रेमिटेंस कम और मध्यम आय वाले देशों में अन्य प्रकार के फाइनेंशियल आउटफ्लो से आगे निकल गया है और जनसांख्यिकीय रुझानों, आय अंतराल और जलवायु परिवर्तन की वजह से माइग्रेशन दबावों के कारण इसमें वृद्धि जारी रहेगी. रेमिटेंस ने एफडीआई को भी काफी बड़े अंतर से पार कर लिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि रेमिटेंस और एफडीआई के बीच का अंतर 2024 में और बढ़ने की उम्मीद है. इनपुट-आईएएनएस 

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