Shiva Linga in Graveyard: उत्तर प्रदेश इन दिनों धार्मिक मामलों को लेकर खासा सुर्खियों में है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर में एक कब्रिस्तान में शिवलिंग मिलने की खबर आई है. कब्रिस्तान में शिवलिंग मिलने के बाद यहां पुलिस तैनात की गई है. हिंदू समुदाय का कहना है कि यहां शिवलिंग मिला है. इसलिए यहां मंदिर बनना चाहिए, वहीं मुस्लिम समुदाय का कहना है कि कब्रिस्तान में पहले से ही शिवलिंग था. यहां हिंदू-मु्स्लिम भाईचारे के साथ रहते हैं. हालांकि पुलिस का बयान इन दोनों दावों से इतर है.


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कब्रिस्तान में शिवलिंग मिलने की बात झूठी
आपको बता दें कि जौनपुर के नगर कोतवाली थाना इलाके में एक कब्रिस्तान के पास शिवलिंग मिलने की अफवाह के बाद यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है, एक पुलिस अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. हालांकि, पुलिस अधीक्षक (शहर) अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि "शिवलिंग मिलने के बारे में सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा "पूरी तरह से गलत" है. उन्होंने कहा कि "वहां पहले से ही एक मंदिर है, जहां लोग पूजा करते हैं, उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है."


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सोशल मीडिया पर फैली अफवाह
सोशल मीडिया पर कब्रिस्तान में शिवलिंग मिलने की जानकारी मिलते ही सिटी मजिस्ट्रेट इंद्र नंदन सिंह और सिटी कोतवाल मिथिलेश मिश्रा मौके पर पहुंचे. स्थानीय पार्षद अशफाक मंसूरी ने कहा, "यहां कभी कोई विवाद नहीं हुआ. यह मंदिर करीब 15 साल से है. लोग यहां पूजा करते हैं." पार्षद ने कहा, "आज अचानक किसी ने इस बारे में अफवाह फैला दी. यहां पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. कोई विवाद नहीं है. यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों भाई एक साथ रहते हैं." 


पीपल में छिपा था शिवलिंग
एनबीटी ने स्थानीय निवासी रतन मौर्या के हवाले से लिखा है कि "सदियों पहले एक पीपल का पेड़ हुआ करता था. वहीं पर राधा कृष्ण और गणेश जी की मूर्ति थी. हमारे परिवार के लोगों की तरफ से पूजा पाठ किया जाता था. पीपल का पेड़ सूखने के बाद गिरा, इसके बाद यहां बड़ा शिवलिंग नजर आया. यहां मंदिर बनना चाहिए."


हुआ था समझौता
हालांकि मकामी लोगों ने बताया कि यहां काफी समय से शिवलिंग है. एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, "कई साल पहले यहां विवाद हुआ था. समझौता हो गया था. उसके बाद से यहां कभी कोई विवाद नहीं हुआ." पूर्व सभासद फैसल यासीन ने बताया कि "2006 से यहां पूजा होती आ रही है. मुस्लिम लोग कब्रिस्तान में मुर्दों को दफनाते हैं. साल 2006 में डीएम के सामने दोनों समुदाय के लोगों ने आपसी समझौता भी किया था. जिसमें कहा है कि आप पूजा कीजिए और जो हम कर रहे हैं वो हम करते रहेंगे. यहां केवल त्योहारों पर पूजा पाठ की जाती है."