Bilkis Bano Case Update: बिल्कीस बानो के मुजरिमों से जुड़ी खबर सामने आई है. दोषियों के आत्मसमर्पण वाली याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि 11 मुजरिमों के जरिए बताई गई वजहों में कोई दम नहीं है. दरअसल, बिल्कीस बानो के दोषियों ने सरेंडर करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी मुजरिमों की दलीलों को खारिज कर दिया है. अब हर हाल में सभी दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करना होगा.


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क्या है पूरा मामला
दरअसल, गुजरात सरकार ने इन 11 मुजरिमों को माफी के आधार पर वक्त से पहले जेल से रिहा कर दिया था. इसके खिलाफ दाखिल पिटीशन पर सुनवाई कर 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने इन मुजरिमों को दो हफ्ते में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. 


दोषियों ने दी ये दलील
दोषियों में से एक मुजरिम गोविंदभाई नाई ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी, "उसके 88 साल के पिता और 75 साल की मां बीमार हैं. उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. इस आधार पर उसे सरेंडर के लिए और वक्त दिया जाए. वहीं रमेश रूपाभाई चंदना ने कहा, "उसे अपने बेटे की शादी की व्यवस्था करनी है. इसके लिए और समय दिया जाए."


वहीं दो और मुजरिम मितेश चिमनलाल भट्ट और जसवन्तभाई चतुरभाई नाई ने दायर पिटीशन में कहा, "उन्हें सर्दियों की फसलों की कटाई करनी है. शीतकालीन उपज अब कटाई के लिए तैयार है. वह सरेंडर करने से पहले इसे भी पूरा कर लेना चाहता है." इसके साथ ही एक और मुजरिम प्रदीप रमणलाल मोढिया ने दलील दिया, "अभी उनके फेफड़े की सर्जरी हुई है और ठीक होने के लिए वक्त चाहिए."


एक और मुजरिम बिपिनचंद कन्हैयालाल जोशी का कहना है, "हाल ही में पैर की सर्जरी की वजह से वह आंशिक रूप से विकलांग है. इसके साथ ही राधेश्याम भगवानदास शाह का कहना है, "उसके बूढ़े माता-पिता हैं और एक बेटा है जो कॉलेज में है. इसलिए उसे सरेंडर करने से पहले अपने परिवार के लिए वित्तीय व्यवस्था के लिए कुछ और वक्त की जरूरत होगी."