Shahi Eidgah Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में शाही ईदगाह कमेटी को एक इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) से बड़ा झटका लगा है.हाई कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की सभी 15 वाद को अलग सुने जाने की मांग वाली रिकॉल अर्जी खारिज कर दी. अब सभी 15 वाद पर हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा. कोर्ट के फैसले के बाद शाही ईदगाह कमेटी के सेक्रेटरी तनवीर अहमद की प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक हाईकोर्ट का हु्क्म नहीं  मिला है, लेकिन जैसे ही उन्हें आदेश की कॉपी मिलेगी, वह सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.


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तनवीर अहमद ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक सुनवाई चल रही थी, जिसमें बहस 16 अक्टूबर को पूरी हो गई थी. हमारे दरख्वास्त पर अदालत ने हमारी एक समान प्रार्थना को मंजूर कर दिया है. हाईकोर्ट से आदेश की कॉपी मिलने के बाद, मुस्लिम पक्ष इसे सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में चुनौती देगा. इससे पहले हमने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था कि जब एक रिकॉल एप्लिकेशन आपकी लंबित है, तो पहले वहां सुनवाई पूरी की जाए. इसलिए, जैसे ही हमें हु्क्म मिलेगा, हम सुप्रीम कोर्ट की तरफ रुख करेंगे और अपनी बात रखेंगे.


मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में दी थी ये दलील 
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी खारिज कर दी है. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है. मस्जिद पक्ष ने दलील दी थी कि इन 15 मामलों में मांगी गई राहतें अलग-अलग और असमान हैं, इसलिए इनकी एक साथ सुनवाई सही नहीं होगी. हालांकि, कोर्ट ने यह तर्क एक्सेप्ट नहीं किया और कहा कि सभी केस एक ही मुद्दे से जुड़े हुए हैं.


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कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
दरअसल, 11 जनवरी 2024 के एक आदेश को चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्च में रिकॉल अर्जी दायर की थी. 15 पिटीशन्स को लेकर रिकॉल अर्जी दाखिल हुई थी. 16 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसपर बुधवार, 23 अक्टूबर को फैसला सुना दिया है.


हिन्दू पक्षकार का ये है आरोप
वहीं, हिन्दू पक्षकार व श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के नेशनल प्रेसिडेंट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, "जस्टिस मयंक कुमार जैन की बेंच के समक्ष मंदिर और मस्जिद पक्ष की तरफ से बहस की गई थी. पक्ष ने ऑर्डर सात रूल 11 के तहत दिए गए प्रार्थना को खारिज कर स्वामित्व से जुड़े 15 सिविल वादों को एक साथ सुने जाने के कोर्ट के फैसला के खिलाफ रिकॉल प्रार्थना पत्र दाखिल किया था."


मंदिर पक्ष ने कहा कि रिकॉल अर्जी मामले को उलझाए रखने के लिए है. रिकॉल अर्जी  किसी आदेश को वापस लेने के लिए दिया जाता है. अदालत रिकॉल प्रार्थना पत्र निस्तारण करने के बाद सिविल वादों को लेकर वाद बिंदु तय करेगी और मंदिर पक्ष ने वाद बिंदु दे दिए हैं.


वकील ने दी थी ये दलील
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुईं हाईकोर्ट की वकील ने दलील दी थी कि सभी मामलों को एक साथ किए जाने से वे सभी मामलों का विरोध करने के ज्यादातर से वंचित हो जाएंगे. इससे पहले एक अगस्त 2024 को जस्टिस जैन ने मुस्लिम पक्ष की अर्जियों को खारिज कर दिया था, जिसमें हिंदू पक्षों की तरफ से दाखिल मामलों की योग्यता को चुनौती दी गई थी.


क्या है विवाद?
बता दें,  मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के वक्त की शाही ईदगाह मस्जिद के बारे में विवाद है कि मस्जिद का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को तोड़कर किया गया था.  वहीं, मुस्लिम पक्ष (शाही-ईदगाह मैनेजमेंट कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) इस मामले का विरोध कर रहे हैं.