संतों को मुसलमान तो चाहिए, लेकिन रहीम, रसखान और कलाम के जैसा
Shankaracharya on Muslims entry banned in Maha Kumbh: इस साल भी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. इस महाकुंभ में मुसलमानों के एंट्री पर बैन की बात चल रही है. इस मामले को लेकर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने बड़ा बयान दिया है.
Shankaracharya on Muslims entry banned in Maha Kumbh: देश में एक समुदाय विशेष के प्रति नफरत इतनी बढ़ गई है कि दूसरे समुदाय के कुछ लोग उनकी तरफ दया भरी नजर से देखना भी नहीं चाहते. हर तरह बहिष्कार का ऐलान किया जा रहा है. हमारे समाज के धर्मगुरु भी नफरत की इस आग को हवा दे रहे हैं. इन धर्मगुरुओं का मानना है कि भारत में सिर्फ रहीम, रसखान और कलाम के जैसा मुसलमानों की जरूरत है. इसी बीच शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने बड़ा बयान दिया है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, हर बार की तरह इस साल भी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. इस महाकुंभ के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इस बीच महाकुंभ में मुसलमानों के एंट्री पर बैन की बात चल रही है. कई धर्मगुरु महाकुंभ में मुसलमानों के एंट्री पर बैन की बात दोहरा रहे हैं. इसी कड़ी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अगर कोई मुसलमान रसखान, रहीम और वैज्ञानिक कलाम की श्रेणी का है, अगर कोई मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ है और वह रहीम, रसखान और वैज्ञानिक कलाम की श्रेणी का है, तो उसे मुसलमान के नाम पर गाली नहीं दिया जाना चाहिए.
क्यों होता दंगा
उन्होंने आगे कहा कि गीता और शिव पुराण से पता चलता है कि मक्का में मक्केश्वर महादेव हैं. मक्का और मदीना मुसलमानों के लिए तीर्थ स्थान बन गए हैं. वहां हिंदुओं के जाने पर बैन लगा दिया गया है. उसी का नकल करते हुए महाकुंभ में भी मुसलमानों पर बैन लगा रहे हैं. सवाल यह है कि कुंभ और महाकुंभ के मेले में सबसे ज्यादा मुसलमान दुकान लगाते हैं और हिंदुओं के उनका कमीनी हड़प लेते हैं. ऐसे में अगर मांग की जा रही है कि हिंदू दुकान लगाए. ये उचित मांग है, लेकिन कोई रहीम, रसखान और वैज्ञानिक कलाम के जैसा मुसलमान है तो उसे भी बुरा माना जाता है. फिर आगे चलकर दंगा होता है.
वीआईपी के नाम पर न हो अत्याचार
इसके साथ ही शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने संगम क्षेत्र से दूर कल्पवासियों को महाकुंभ क्षेत्र में बसाने पर मेला प्रशासन की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि वीआईपी के नाम पर कल्पवासियों को धकेलना उचित नहीं है. माघ में रहने वाले कल्पवासी हैं, तपस्वी हैं, उचित आचरण करते हैं, मांस-मदिरा से दूर रहते हैं, शीतकाल में भी ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करते हैं। जिनके नाम पर मेला प्रसिद्ध है, उन्हें धकेलना अनुचित है.