Statement Against Muslims: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. तकरीबन तीन हफ्ते पहले उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के एक प्रोग्राम में मुस्लमानों के खिलाफ बयानबाजी की थी. अब सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ एक्शन मोड में है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें तलब किया है. चीफ जस्टिस (CJI) ने उनके खिलाफ सख्त कदम उठाया है. बताया जाता है कि मु्स्लिमों के खिलाफ बयानबाजी करने के बाद जस्टिस शेखर यादव ने अभी तक माफी नहीं मांगी है.


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जज ने अभी तक नहीं मांगी माफी
सुप्रीम कोर्ट के जज ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के अहम जज अरुण भंसाली को खत लिखा है. खत में CJI ने इस मामले में नई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. इस मामले में 17 दिसंबर को ही कॉलेजियम और जस्टिस यादव के दरमियान मुलाकात हुई थी. इसी दरमियान जवाब मांगा गया था. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जस्टिस यादव ने अपने बयान को लेकर माफी नहीं मांगी है. जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ सख्त है.


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महाभियोग के खिलाफ अर्जी
इससे पहले जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ संसद में महाभियोग का प्रस्ताव रखा गया. इस प्रस्ताव के खिलाफ हाई कोर्ट की लखनई पीठ में एक अर्जी दाखिल की गई. इसे हाई कोर्ट की बेंच ने खारिज कर दिया. बेंच ने कहा कि ये मामला सुनवाई के लायक नहीं, क्योंकि जनहित याचिका समाज के दबे कुचले लोगों की आवाज उठाने के लिए लाई जाती है.  


क्या था विवादित बयान?
आपको बता दें कि जस्टिस शेखर कुमार यादव ने एक प्रोग्राम में कहा था कि "देश की व्यवस्था बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगी." उनका यह भी कहना था कि "परिवार भी बहुमत के हिसाब से चलता है. तो देश इस तरह चलाने में क्या गलत है." यादव ने मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी करते हुए उन्हें 'कठमुल्ला' कहा था. यादव के इस बयान के बाद इनका विरोध शुरू हुआ था. यह मामला यहां तक बढ़ गया कि सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देना पड़ा.