Hijab Controversy: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने स्विट्जरलैंड देश की तरफ से हिजाब पर लगाई गई पाबंदी के ताल्लुक से कहा कि स्विट्जरलैंड की हुकूमत इस्लामोफोबिया की शिकार हो गई है. उसको इस्लाम और मुसलमानो से नफ़रत है. स्विट्जरलैंड में आजादी और इजहारे राए की आजादी है. मगर ये कैसा लोकतंत्र है की मजहब की पहचान के साथ लिबास को पहनने या न पहनने पर पाबंदी लगाई गई है.


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मौलाना ने आगे कहा कि हर मजहब ने अपने फॉलोअर्स को एक दायरे में रहने के लिए कहा है है. ये बात सिर्फ इस्लाम धर्म की ही नहीं है, बल्कि दुनिया भर में जितने भी मजहब हैं वो सभी अपने फॉलोअर्स को खाने-पीने और कपड़े पहनने के साथ ही दिन दिनचर्या के लिए उसूल बताएं हैं. इसलिए फॉलोअर्स अपने मजहब के मुताबिक जिंदगी गुजारते हैं. 


मौलाना ने बताया कि इस्लाम ने मुस्लिम औरतों को अजनबी लोगों से पर्दा करने का हुक्म दिया है. इसलिए मुस्लिम औरतें हिजाब य बुर्का पहनती हैं. ये मुस्लिम औरतों का हक है और वो अपने मजहब के वसूलों का पालन करती हैं, इस पर किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.


मौलाना ने कहा स्विट्जरलैंड हुकूमत अपने फैसले पर एक बार फिर सोंचे चूंकि वहां पर मुसलमान बड़ी तादाद में आबाद हैं. किसी मज़हबी पहनावे पर पाबंदी लगाना ये साफ करता है कि स्विट्जरलैंड हुकूमत मुसलमानों के खिलाफ है.


आपकों बता दें कि इस्लाम में पर्दे का चलन है. इस्लाम में बताया गया है. गैर महरम (वह लोग जिनसे लड़की की शादी हो सकती है) से पर्दा करना जरूरी है. यही वजह है कि मुस्लिम औरतें बुर्का पहनती हैं. अगर वो बुर्का नहीं पहनती हैं तो कम से कम हिजाब पहनती हैं. हिजाब में सर और बाल ढके रहते हैं.


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