1993 Serial Bomb Blast Case: टाडा कोर्ट ने सीरियल बम ब्लास्ट के मुल्जिम अब्दुल करीम टुंडा को किया बरी; जानें पूरा मामला
Abdul Karim Tunda News: अब्दुल करीम टुंडा पर मुल्क के मुख्तलिफ जगहों पर आतंकवाद के मुकदमे चल रहे हैं. उनपर कथित तौर पर इल्जाम है कि देश के नौजवानों को इंडिया में दहशतगर्दी गतिविधियां करने के लिए ट्रेनिंग दिया था.
1993 Serial Bomb Blast Case: राजस्थान की अजमेर टाडा अदालत ने साल 1993 सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है. इसके साथ ही दो मुल्जिमों हमीदुद्दीन और इरफान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अब्दुल करीम टुंडा फिलहाल अजमेर की जेल में बंद हैं.
कोर्ट के फैसले के बाद अब्दुल करीम टुंडा के वकील शफीकतुल्ली सुल्तानी ने कहा, "अब्दुल करीम टुंडा पर दर्ज किसी भी मामले में कोर्ट ने उन्हें मुजरिम नहीं माना है. अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ जितने भी मुकदमें दर्ज हुए हैं, किसी मामले में टुंडा दोषी सिद्ध नहीं हुए हैं और आज भी अब्दुल करीम टुंडा बरी हुए हैं. मेरे मुवक्किल अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष हैं. माननीय न्यायलय ने आज यह निर्देश दिए हैं."
सीरियल ब्लास्ट में बनाया गया था मुल्जिम
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को हिंदू संगठनों के जरिए गिरा दिया गया था. जिसके बाद साल 1993 में लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, कोटा, और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे, इस सीरियल ब्लास्ट में अब्दुल करीम टुंडा को मुल्जिम बनाया गया था. केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने टुंडा को इस सीरियल धमाकों का मास्टर माइंट माना गया था. साल 2013 में सीबीआई ने उन्हें नेपाल के बॉर्डर से गिरफ्तार किया था.
कई मुकदमें हैं दर्ज
जानकारी के मुताबिक, अब्दुल करीम टुंडा पर मुल्क के मुख्तलिफ जगहों पर आतंकवाद के मुकदमे चल रहे हैं. उनपर कथित तौर पर इल्जाम है कि देश के नौजवानों को इंडिया में दहशतगर्दी गतिविधियां करने के लिए ट्रेनिंग दिया था. वहीं, एक पाकिस्तानी नागरिक जुनैद के साथ उसने कथित तौर पर साल 1998 में गणेश उत्सव के दौरान दहशतगर्दाना हमला करने का प्लान बनाया था. टुंडा पर यह भी इल्जाम है कि मुंबई बम ब्लास्ट में शामिल होने से पहले उसने जालीस अंसारी के साथ मिलकर मुंबई में मुस्लिम समुदाय के लिए एक इदारा बनाया. जिसका नाम तंजीम इस्लाह-उल-मुस्लिमीन रखा गया.
अब्दुल करीम टुंडा कारपेंटर का करता था काम
अब्दुल करीम टुंडा का जन्म मध्य दिल्ली के दरियागंज के छत्ता लाल मियां इलाके में हुआ था. टुंडा का परिवार बेहद ही गरीब था. वहीं, उसने अपने पैतृक गांव यूपी के गाजियाबाद में पिलखुआ गांव के बाजार खुर्द इलाके में कारपेंटर का काम करता था. उसने अपने वालिद को मदद देनी शुरू कर दी. टुंडा के पिता जस्ता, तांबा और एल्युमिनियम जैसे धातुओं को गलाने का काम करते थे.