रावण से कोई दुश्मनी नहीं फिर भी मुसलमान बनाता है पुतला, ताकि हिंदू कर सके इसका वध
Ghaziabad News: पूरे देश में दशहरा पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दौरान जगह-जगह रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले तैयार किए जा रहे हैं. इस बीच, देशभर में रावण का पुतला मुस्लिम कारीगर बना रहे हैं. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
Ghaziabad News: देशभर में दशहरा पर्व धूमधगाम से मनाया जा रहा है. जगह-जगह पर रामलीलाओं का मंचन भी किया जा रहा है. दसवीं को रावण, मेघनाद और कुंभकरण को जलाने के लिए उनके पुतले तैयार किए जा रहे हैं. रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला बुराई को ख़त्म करने के प्रतीक के तौर पर जलाया जाता है. ख़ास बात ये है कि देशभर से ऐसी कई खबरें सामने आयी है कि रावण, मेघनाद और कुंभकरण के ये पुतले मुस्लिम कारीगरों द्वार बनाए जा रहे हैं.
एक मुसलमान की न तो दुर्गा माँ में आस्था होती है, न किसी अन्य हिन्दू तौहार में, इसके बावजूद वो सच्चे लगन और मेहनत के साथ हर साल रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला बनाता है, ताकि समाज से बुराई के इस प्रतीक को बाहर किया जा सके, बुराई पर अच्छाई की जीत हो. लेकिन एक बड़ा सवाल है कि इस समय देश में जब साम्प्रदायिकता अपने चरम पर है, तब क्या लोग रावण के पुतलों के साथ-साथ अपने अंदर के राग, द्वेष, और घृणा को मार पायेंगे ? कर सकेंगे अपने अंदर की बुराई का वध?
रावण का पुतला बनाने आए मोहम्मद शाहिद ने क्या कहा?
गाजियाबाद से मेंढर रावण का पुतला बनाने आए मोहम्मद शाहिद ने कहा, "यहां के लोग बहुत अच्छे हैं, हिन्दू-मुस्लिम के बीच काफी प्यार है. यहां पर ऐसा नहीं लगा कि हम अपने घर से दूर हैं. हम मुल्क के सभी लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि सभी मजहब के लोग आपस में मिल- जुलकर रहें जैसे की मेंढर के लोग रहते हैं. यहां पर प्रशासन भी काफी सहयोग करता है. कारीगर ने बताया कि इससे पहले वह फरीदाबाद में भी रावण के पुतले बना चुके हैं. उनके पूर्वज भी रावण के पुतले बनाते थे.
मुस्लिम महिला कारीगर ने क्या कहा?
मुस्लिम महिला कारीगर इमराना ने कहा मुझे यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है. यहां की जमीन बहुत अच्छी है. यहां के लोग बहुत अच्छे हैं, सभी मिल-जुलकर रहते हैं. हम रावण के पुतले बनाकर उसे जलाते हैं, लेकिन समाज में और हमारे भीतर जो असली रावण है, उसे मिटाना सबसे जरूरी है. सभी महिलाएं सीता मां की तरह हैं, उनकी रक्षा करनी चाहिए. राम और लक्ष्मण की तरह हमें बनना चाहिए.
मकामी ने क्या कहा?
स्थानीय निवासी राहुल शर्मा ने कहा, "हमारे यहां पिछले 50 सालों से दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. हमारे यहां गाजियाबाद से मोहम्मद शाहिद रावण का पुतला बनाने के लिए आते हैं. वह पिछले तीन सालों से यहां आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से सटा हुआ यह इलाका है और यहां पर हिन्दू-मुस्लिम सभी मिलकर रहते हैं.
मध्य प्रदेश में भी मुस्लिम बना रहे हैं रावण के पुतले
मध्य प्रदेश के छतरपुर में रावण के पुतले को बनाने में आगरा से आए मुस्लिम कलाकार जुटे हैं. ये मुस्लिम कलाकार पिछले 10 सालों से रावण का पुतला बनाने आ रहे हैं. 11 दिनों तक बनने वाले इस रावण के पुतले की लंबाई 51 फीट रखी गई है जबकि कुंभकरण 42 फीट का बनाया जा रहा है, मेघनाद की लंबाई 35 फीट रखी गई है, जिसे कलाकार अंतिम रूप दे रहे हैं.
असम में भी नूरुद्दीन अहमद बना रहे हैं दुर्गा पूजा की मूर्तियाँ और पंडाल
इसी तरह असम में भी नूरुद्दीन अहमद दुर्गा पूजा की मूर्तियाँ और पंडाल बनाते हैं. इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. इस बार उन्होंने एक ऐसा शहर बनाया है जो महाभारत की हूबहू नकल है। इसे देखने के लिए आठ गांवों में पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. नूरुद्दीन अहमद कहते हैं कि दुर्गा पूजा पर काम करना उन्हें एक अलग तरह की खुशी देता है. उन्होंने कहा है कि हमारे देश में अनेकता में एकता बहुत खूबसूरत है. उनका यह भी कहना है कि हमारे देश में सभी को सभी त्योहारों का मिलजुल कर आनंद लेना चाहिए.
महंत यति नरसिंहानंद पर भारी बवाल
वहीं गाजियाबाद में मौजूद डासना के महंत यति नरसिंहानंद ने पैगंबर मोहम्मद (SAW) को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. जिसके बाद देशभर में बवाल मचा हुआ है. डासना मंदिर के महंत के बयान पर मुसलमानों में काफी गुस्सा है और इस दौरान मुसलमानों ने डासना मंदिर के पास भारी विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद इलाके में तनाव फैल गया है.